Indigo Flight Crisis : इंडिगो फ्लाइट कैंसिलेशन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दखल देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो द्वारा सैकड़ों उड़ानें रद्द किए जाने के मुद्दे पर न्यायिक हस्तक्षेप का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता को अपनी शिकायतें लेकर दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करने को कहा। दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो की उड़ानों के रद्द होने से उत्पन्न संकट पर समय रहते कार्रवाई नहीं करने को लेकर 10 दिसंबर को केंद्र सरकार से सवाल किए थे।
हाईकोर्ट ने सवाल किया था कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई, जिसके कारण इंडिगो की कई उड़ान रद्द करनी पड़ीं। अदालत इंडिगो द्वारा सैकड़ों उड़ान रद्द किए जाने से प्रभावित यात्रियों को सहायता और भुगतान की गई राशि वापस दिलाने के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने याचिकाकर्ता नरेंद्र मिश्रा की इस दलील पर गौर किया कि याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि इसी तरह की एक अन्य जनहित याचिका पहले से ही हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। पीठ ने मिश्रा से हाईकोर्ट का रुख करने को कहा और यह छूट दी कि यदि उनकी शिकायतों का समाधान नहीं होता है तो वह दोबारा सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। इंडिगो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि डीजीसीए ने उड़ानों के रद्द होने और इसके कारण यात्रियों को हुई समस्याओं की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है। पीठ ने कहा कि यह इंगित किया गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका लंबित है।
यह भी बताया गया है कि डीजीसीए ने पांच दिसंबर को एक विशेषज्ञ समिति गठित की है…यहां उठाए गए सभी मुद्दे दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित हैं। याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी जाती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह याचिकाकर्ता को अपने समक्ष लंबित मामले में हस्तक्षेप करने और सभी दलील पेश करने की अनुमति दे।
यदि सभी शिकायतों का समाधान नहीं होता है, तो याचिकाकर्ता या जनहित के लिए कोई अन्य व्यक्ति भी इस न्यायालय का रुख कर सकता है। मिश्रा ने कहा कि उड़ानों के रद्द होने से यात्री परेशान हो रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश ने शुरुआत में कहा कि यह आमजन के लिए गंभीर चिंता का विषय है… लेकिन हाईकोर्ट इस पर विचार कर रहा है। हाईकोर्ट भी एक संवैधानिक अदालत है। यदि आपकी शिकायतों का समाधान नहीं होता है, तो आप यहां आ सकते हैं।
