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COP30 के लिए ब्राजील को भारत का ‘मजबूत समर्थन', कहा-शिखर सम्मेलन के कई परिणामों से संतुष्ट

COP30: भारत ने ब्राजील को सीओपी30 अध्यक्षता के दौरान समावेशी नेतृत्व के लिए रविवार को ‘‘मजबूत समर्थन'' दिया और हाल में संपन्न जलवायु शिखर सम्मेलन में अपनाए गए कई निर्णयों का स्वागत किया। हालांकि नयी दिल्ली ने कई निर्णयों पर...

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COP30: भारत ने ब्राजील को सीओपी30 अध्यक्षता के दौरान समावेशी नेतृत्व के लिए रविवार को ‘‘मजबूत समर्थन'' दिया और हाल में संपन्न जलवायु शिखर सम्मेलन में अपनाए गए कई निर्णयों का स्वागत किया। हालांकि नयी दिल्ली ने कई निर्णयों पर संतोष जताया, लेकिन उसने जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को रोकने के उद्देश्य से किसी नीति को तैयार करने में सीओपी30 को विशिष्ट रूप से सफल नहीं बताया।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में भारत ने शनिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) सीओपी30 के समापन पूर्ण सत्र में दिए गए “उच्च-स्तरीय वक्तव्य” के लिए आभार जताया। ब्राजील में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ताओं का समापन अत्यधिक मौसम की मार से निपटने के लिए देशों को अधिक वित्तीय सहायता के वादे के साथ हुआ। लेकिन इसमें जीवाश्म ईंधनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की कोई रूपरेखा शामिल नहीं थी।

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जलवायु शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया। वक्तव्य में सीओपी अध्यक्ष आंद्रे कोर्रिया दो लागो के नेतृत्व के प्रति भारत का आभार जताया गया।

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पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘ ‘ग्लोबल गोल ऑन एडाप्टेशन' (जीजीए) के तहत हुई प्रगति का स्वागत करते हुए भारत ने इस निर्णय के न्याय और समानता के पहलू पर जोर दिया और कहा कि यह विकासशील देशों में अनुकूलन की बेहद जरूरी आवश्यकता की पहचान को दर्शाता है।”

भारत के संबोधन का एक प्रमुख पहलू विकसित देशों के लंबे समय से चले आ रहे दायित्वों पर जोर था, जो जलवायु वित्त प्रदान करने का है। बयान में भारत द्वारा लंबे समय से लंबित पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 पर ध्यान देने की शुरुआत का समर्थन करने के लिए अध्यक्षता के प्रयासों की सराहना की गई।

बयान में कहा गया कि भारत अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना के साथ पूरी उम्मीद करता है कि 33 साल पहले रियो में किए गए वादे अब बेलम में पक्षों द्वारा उठाए गए पहले कदमों के कारण पूरे होंगे। भारत ने सीओपी30 की प्रमुख उपलब्धियों, विशेष रूप से न्यायसंगत परिवर्तन तंत्र की स्थापना पर संतोष व्यक्त किया। बयान में इसे एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया गया और उम्मीद जतायी गई कि यह वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर समानता और जलवायु न्याय को क्रियान्वित करने में मदद करेगा।

भारत ने सीओपी30 की अध्यक्षता का धन्यवाद भी किया, जिसने एकतरफा व्यापार-प्रतिबंधक जलवायु उपायों पर चर्चा का अवसर प्रदान किया। इन उपायों का प्रभाव सभी विकासशील देशों पर पड़ रहा है और ये समानता और सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों के खिलाफ हैं, जो पेरिस समझौते में निहित हैं।

नयी दिल्ली ने इस बात पर जोर दिया कि इन मुद्दों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उसने कहा कि पक्षों ने इस प्रवृत्ति को उलटने की शुरुआत यहां की है। भारत ने अपनी सिद्धांतपरक जलवायु कार्रवाई की दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले उपायों का बोझ उन पर नहीं डाला जाना चाहिए, जिनकी जिम्मेदारी सबसे कम है।

बयान में इस बात पर भी जोर दिया गया कि अत्यधिक प्रभावित जनसंख्याओं, जिनमें अधिकांश ‘ग्लोबल साउथ' में हैं, को वैश्विक समर्थन की आवश्यकता है ताकि वे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से खुद को बचा सकें।

‘ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं। भारत ने वैज्ञानिक और न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहरायी। यह भी कहा कि भारत एक ऐसा वैश्विक क्रम चाहता है जो नियम-आधारित, न्यायसंगत और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने वाला हो।

इसके अलावा, भारत ने सभी पक्षों के साथ मिलकर सभी के लिए समावेशी, न्यायसंगत और समान जलवायु महत्वाकांक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जतायी। बयान में ब्राजील और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन और आभार भी व्यक्त किया गया। इसमें सभी पक्षों से मिलकर प्रयास करने को कहा गया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बेलेम से निकलने वाला रास्ता एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाए जो सबके लिए निष्पक्षता, एकजुटता और खुशहाली से परिभाषित हो।

इस सम्मेलन में 194 देशों के वार्ताकार शामिल हुए। सीओपी30 का शिखर सम्मेलन ब्राजील के अमेजन क्षेत्र के शहर बेलेम में 10 से 21 नवंबर तक आयोजित हुआ। मुख्य स्थल पर 20 नवंबर को आग लग गई थी जिससे बैठक प्रभावित हुई। इस घटना में 27 लोग घायल हुए थे लेकिन इनमें से कोई जलने के कारण चोटिल नहीं हुआ था।

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