Nijjar Case भारत की कनाडा को दो-टूक: ‘निज्जर मामले से कोई लेना-देना नहीं’
Nijjar Case भारत ने कनाडा को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से उसका कोई संबंध नहीं है और इस मामले में लगाए गए आरोप ‘बेबुनियाद, हास्यास्पद और पूरी तरह राजनीतिक’ हैं। कनाडा में भारत के उच्चायुक्त दिनेश पटनायक ने एक विस्तृत इंटरव्यू में कहा कि भारत ऐसे कार्यों में न तो शामिल रहा है और न ही ऐसी नीति रखता है।
पटनायक ने कहा कि पुरानी कनाडाई सरकार द्वारा पेश किए गए आरोप किसी भी प्रमाण पर आधारित नहीं थे। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक नीति पारदर्शी है और विदेश में किसी भी प्रकार की हिंसक कार्रवाई का समर्थन नहीं करती।
यह बयान उस समय आया है जब जोहान्सबर्ग में जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की मुलाकात हुई। जून में जी 7 सम्मेलन के बाद पांच महीनों में यह दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात है, जो दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में नरमी को दर्शाती है।
उच्चायुक्त पटनायक ने कनाडा द्वारा लॉरेंस बिश्नोई गैंग को आतंकवादी इकाई घोषित किए जाने का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि भारत पहले से ही इस गैंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा है। बिश्नोई के एक भाई को भारत में जेल में रखा गया है जबकि दूसरा भाई हाल ही में अमेरिका से प्रत्यर्पित होकर भारत पहुंचा है।
पटनायक ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क उतनी ही गति से फैल रहे हैं जितनी तेजी से आतंकी नेटवर्क। ऐसे में नई दिल्ली और ओटावा को मिलकर सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना होगा। उन्होंने बताया कि भारत दोनों देशों के लिए खतरा पैदा करने वाले गिरोहों, खासतौर पर बिश्नोई नेटवर्क और वैश्विक कार्टेल से जुड़े सिख अलगाववादी समूहों के बारे में लगातार इंटेलिजेंस साझा कर रहा है।
उन्होंने याद दिलाया कि भारत पिछले 40 वर्षों से कनाडा में उग्रवादी गतिविधियों पर चिंता जताता आया है। 1985 के एयर इंडिया कनिष्क विमान विस्फोट से लेकर आज तक भारत ने कई बार प्रमाण और इनपुट साझा किए हैं। पटनायक ने कहा कि ‘दोनों देश परिपक्व लोकतंत्र हैं। हमें साथ बैठकर यह तय करना चाहिए कि कनाडा की सड़कों पर कनाडाई और भारत की सड़कों पर भारतीय सुरक्षित कैसे रहें।’
एनएसए-स्तरीय वार्ता बहाल किए जाने को उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण बताया। इसके तहत दोनों देश आपराधिक एवं आतंकी नेटवर्कों के ऑपरेशनल आधार, वित्तीय ढांचे और डिजिटल संपर्कों पर गहन इंटेलिजेंस साझा कर सकेंगे।
इस बीच, भारत-कनाडा राजनयिक संपर्क भी तेजी से बढ़े हैं। पिछले महीने कनाडाई विदेश मंत्री अनिता आनंद नई दिल्ली आईं, जिसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर इस महीने कनाडा गए। मोदी और कार्नी की दो मुलाकातें भी इसी सकारात्मक माहौल का संकेत हैं।
कनाडा में अलगाववादी समूहों द्वारा आयोजित ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ पर पटनायक ने दो-टूक कहा कि यह एक ‘मजाकिया और अवैध’ प्रक्रिया है, जिसका किसी वैध लोकतांत्रिक ढांचे में कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध और मांगें राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन ऐसे फर्जी जनमत संग्रह को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता।
