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Indian Tourist Place : पहले आखिरी और अब भारत का पहला गांव... पांडवों ने यहीं से शुरु की थी स्वर्ग की यात्रा

Indian Tourist Place : पहले आखिरी और अब भारत का पहला गांव... पांडवों ने यहीं से शुरु की थी स्वर्ग की यात्रा
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चंडीगढ़, 6 अप्रैल (ट्रिन्यू)

Indian Tourist Place : भारत के उत्तराखंड राज्य में बसा माणा गांव, जिसे "भारत का आखिरी गांव" भी कहा जाता है, देश के प्रमुख और सबसे प्रसिद्ध गांवों में से एक है। यह गांव भारतीय सीमा के बेहद करीब स्थित है और भारत-चीन सीमा के पास होने के कारण यह एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। माणा गांव को 'भारत का आखिरी गांव' इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यह भारत की भूमि पर स्थित एकमात्र गांव है, जो भारतीय सीमा के अंतिम बिंदु के रूप में जाना जाता है। इसके बाद भारत के और कोई गांव नहीं है, केवल सीमा पार चीन की भूमि ही है।

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पहले आखिरी और अब बना भारत का पहला गांव

पहले इस गांव को भारत का आखिरी गांव माना जाता था लेकिन साल 2022 में जब प्रधानमंत्री ने इस गांव का दौरा किया तो उन्हें यहां की खूबसूरती बेहद भा गई। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की सीमा पर स्थित हर गांव को पहला गांव घोषित कहा जाना चाहिए। पीएम मोदी की इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने इसे नई पहचान दी। इसके बाद बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइज़ेशन (BRO) ने यहां 'भारत का प्रथम गांव माणा' का बोर्ड लगा दिया।

बद्रीनाथ धाम से होकर गुजरता है रास्ता

माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जिले के बद्रीनाथ धाम से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव समुद्र स्तर से लगभग 3,200 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है, और यहां का वातावरण ठंडा और शुष्क होता है। माणा गांव में पहुंचने के लिए पर्यटकों को सबसे पहले बद्रीनाथ धाम का दर्शन करना पड़ता है, क्योंकि माणा गांव वहां से निकटतम गांव है। यहां आने के लिए पहाड़ी रास्ते और कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन यह यात्रा भारत के इतिहास, संस्कृति और भौगोलिक स्थिति को समझने का एक अद्भुत अनुभव प्रदान करती है।

माणा गांव की विशेषता सिर्फ इसकी भौगोलिक स्थिति नहीं है बल्कि यहां की सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता भी बहुत गहरी है। यह गांव बद्रीनाथ मंदिर के पवित्र स्थल के निकट स्थित है और हिंदू धर्म के अनुसार यह स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है। माणा गांव में बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने आने वाले तीर्थयात्री यहां के स्थानीय लोगों से मिलते हैं और यहां की संस्कृति को समझते हैं।

यही से स्वर्ग को निकले थे पांडव

माणा गांव का ऐतिहासिक महत्व भी है। यहां से एक पुरानी कथा जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार महाभारत के समय जब पांडवों का वनवास समाप्त हुआ, तो वे यहीं से स्वर्ग की ओर यात्रा करने के लिए निकले थे। माणा गांव के पास स्थित 'भीम पुल' को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि यह पुल भीम ने अपनी शक्ति से बनाया था ताकि पांडव स्वर्ग की ओर यात्रा कर सकें। यह पुल आज भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

सर्दियों में खूब होती है बर्फबारी

गांव में रहने वाले लोग मुख्य रूप से गढ़वाली संस्कृति के प्रतिनिधि होते हैं। उनकी जीवनशैली, पहनावा, और भाषा यहां की विशिष्टता को दर्शाती है। माणा के लोग कृषि, पशुपालन, और छोटे व्यापार से अपना जीवन यापन करते हैं। ये लोग सर्दियों में अपने गांव को छोड़कर निचले इलाकों में पलायन कर जाते हैं क्योंकि माणा में सर्दियों के समय भारी बर्फबारी होती है, जिससे जीवन कठिन हो जाता है।

कुदरत का खजाना

माणा गांव को प्राकृतिक सुंदरता का खजाना भी माना जाता है। यहां के घने जंगल, ऊंचे पहाड़, और स्वच्छ हवा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। यह जगह शांति, एकांत और प्राकृतिक सौंदर्य के प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल है। सरस्वती नदी के तट पर स्थित और हिमालय की पहाड़ियों से घिरे इस गांव को साल 2019 के सबसे स्वच्छ गांव' का दर्जा भी दिया गया था।

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