नयी दिल्ली, 8 जुलाई (एजेंसी)
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नये आईटी नियमों को लेकर केंद्र सरकार के साथ ट्विटर के गतिरोध पर बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में रहने और काम करने वालों को देश के नियमों का अनुपालन करना होगा। भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के साथ यहां पार्टी कार्यालय में बैठक के बाद वैष्णव ने संवाददाताओं से बातचीत में एक प्रश्न के जवाब में यह बात कही। ओडिशा से सांसद वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। उन्हें सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे का भी प्रभार दिया गया है। वैष्णव ने कहा कि उनका मुख्य जोर कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने पर होगा। कुछ महीने पहले, उन्होंने ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड छात्र संघ की अध्यक्ष एवं कर्नाटक की रहने वाली रश्मि सामंत के इस्तीफे को नस्लवाद का गंभीर मामला बताते हुए साइबर धौंस जमाने का मुद्दा राज्यसभा में उठाया था।
गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी ट्विटर भारत में नये आईटी नियमों का अनुपालन करने में नाकाम रहने को लेकर मुश्किल में पड़ गयी है। नये आईटी नियम 26 मई को प्रभावी हुए थे, लेकिन ट्विटर द्वारा सोशल मीडिया दिशानिर्देशों का अनुपालन करना अभी बाकी है।
ट्विटर का हाईकोर्ट में शपथ पत्र
नये आईटी नियमों के पालन को लेकर ट्विटर की ओर से बृहस्पतिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में शपथ पत्र दायर किया गया। इसमें कहा गया है कि उसने अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) नियुक्त कर लिया है, जो भारत का निवासी है। ट्विटर ने यह भी कहा कि वह नये आईटी नियमों के अनुरूप 8 हफ्ते में पद पर नियमित नियुक्ति करने का प्रयास करेगी। इसके अलावा अंतरिम शिकायत अधिकारी नियुक्त करने की प्रक्रिया जारी है, जो 11 जुलाई तक पूरी हो जाएगी। जितनी जल्दी संभव हो, ‘हेल्प पेज’ पर नयी जानकारी डाल दी जाएगी। ट्विटर ने यह भी कहा कि वह 2 हफ्ते के भीतर अंतरिम आधार पर और 8 हफ्ते के भीतर नियमित आधार पर एक नोडल संपर्क अधिकारी नियुक्त करने की प्रक्रिया में है।
दिल्ली दंगे : फेसबुक भारत के उपाध्यक्ष की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सौहार्द समिति की ओर से जारी समन के खिलाफ फेसबुक भारत के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजित मोहन की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। विधानसभा ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में मोहन को गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद उन्हें समन भेजे गए। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने मोहन की याचिका को अपरिपक्व बताया और कहा कि दिल्ली विधानसभा के समक्ष उनके खिलाफ कुछ नहीं हुआ है। जस्टिस कौल ने निर्णय सुनाते हुए कहा कि तकनीक के इस युग में डिजिटल प्लेटफॉर्म पैदा हुए हैं, जो कई बार बेकाबू हो सकते हैं।
पीठ ने मोहन, फेसबुक इंडिया ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और फेसबुक इंक की याचिका पर यह निर्णय सुनाया है। याचिका में कहा गया था कि समिति के पास यह शक्ति नहीं है कि वह अपने विशेषाधिकारों का उल्लंघन होने पर याचिकाकर्ताओं को तलब करे। यह उसकी संवैधानिक सीमाओं से बाहर है।