नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति न सिर्फ अत्याधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप है बल्कि यह जितनी व्यावहारिक है, इसका क्रियान्वयन भी उतना ही व्यावहारिक है। भारतीय विश्वविद्यालय संघ की 95वीं वार्षिक बैठक और कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नागरिकों के समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है और देश प्रगति करता है। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा के भारतीय चरित्र पर जोर देते थे। आज के वैश्विक परिदृश्य में यह बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर छात्र की अपनी एक सामर्थ्य होती है और शिक्षक जब उसकी आंतरिक क्षमता के साथ संस्थागत क्षमता दे दे तो उनका (छात्रों का) विकास व्यापक हो जाता है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन अहमदाबाद स्थित बाबा साहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है। इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, राज्यपाल आचार्य देवव्रत और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी हिस्सा लिया।
युवा जो चाहे, कर सकेंगे
मोदी ने कहा, ‘इससे हमारे युवा वह कर सकते हैं, जो वह करना चाहते हैं। इसलिए देश का खास जोर कौशल विकास पर है।’ संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में लोकतंत्र की जननी रहा है और लोकतंत्र हमारी सभ्यता तथा तौर-तरीकों का हिस्सा रहा है।