बंडारू दत्तात्रेय
आज के युग में कोई भी देश प्रौद्योगिकी व नई तकनीक के बलबूते ही दुनिया में कृषि, सामरिक, आर्थिक व शिक्षा के क्षेत्र में विकास कर सकता है। वर्तमान में भारत हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी व तकनीकी के नए मोड को अपनाते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस, जिसे हम हर साल 11 मई को मनाते हैं, यह दिन हमें वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए तकनीकी रूप से सशक्त होने के हमारे सामूहिक, और कर्तव्यों व जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। इस दिन भारत ने राजस्थान के पोखरण में ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत सफलतापूर्वक तीन परमाणु परीक्षण करके परमाणु हथियारों वाले देशों के समूह में शामिल होने में सफलता पाई।
भारत हर क्षेत्र में तकनीकी प्रगति का लाभ उठा रहा है। रक्षा क्षेत्र में हमारी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का रोडमैप न केवल उन्नत देशों द्वारा उपयोग की जा रही समकालीन तकनीकों के अनुरूप है, बल्कि हमारी सामरिक आवश्यकताओं के अनुरूप भी है।
प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य को सामने रखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में सूचना एवं प्रौद्योगिकी पर विशेष बल दिया है। भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा हर साल होनहार वैज्ञानिकों को सम्मानित किया जाता है। हरियाणा में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भी युवा एवं वरिष्ठ वैज्ञानिकों को सम्मानित करता है। केंद्र सरकार ने अर्धचालक और प्रदर्शन निर्माण के विकास के लिए कुल 76,000 करोड़ रुपये के ‘सेमीकॉन इंडिया’ कार्यक्रम को मंजूरी दी है।
हम सभी ‘कोविन’ को जानते हैं, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म जिसने कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई को सरल बना दिया है। आरोग्य सेतु ऐप ने कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में एक प्रभावी हथियार के रूप में काम किया है।
आज हम कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रयोग से ही आगे बढ़ सकते हैं। शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों द्वारा सस्ते ड्रोन और रोबोट बनाने पर काम करना होगा।
मेरा दृढ़ मत है कि हम अपने सर्वाेत्तम प्रयासों से ही ‘डिजिटल इंडिया’ के स्वप्न को पूरा कर सकेंगे। हमारे छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को नई तकनीकों से पारंगत होने में एक बड़ी और सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
आज लीक से हटकर सोचने का युग है। यह विनिर्माण और उद्यमिता का युग है। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था – उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए! इसी दृढ़ निश्चय के साथ देश आगे बढ़ेगा और आत्मनिर्भर होगा।
(लेखक हरियाणा के राज्यपाल हैं)