नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अफगानिस्तान में शांति की बहाली के लिए एक ऐसी प्रक्रिया की आवश्यकता जताई जिसका नेतृत्व अफगानिस्तान स्वंय करे और जो उसके स्वामित्व और नियंत्रण में हो। साथ ही उन्होंने पिछले दो दशकों की उपलब्धियों को सुरक्षित रखने की जरूरत पर जोर दिया। भारत-उज्बेकिस्तान डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मीरजियोयेव से चर्चा की शुरुआत करते हुए अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में ये बातें कहीं। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि भारत और उज्बेकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता से एक साथ खड़े हैं और उग्रवाद, कट्टरवाद तथा अलगाववाद के बारे में दोनों देशों की चिंताएं भी एक जैसी हैं। अफगानिस्तान के बारे में प्रधानमंत्री मोदी का बयान ऐसे समय आया है जब अफगान शांति प्रक्रिया गति पकड़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और उज्बेकिस्तान दो समृद्ध सभ्यताएं हैं और प्राचीन समय से ही दोनों के बीच निरंतर आपसी संपर्क रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के प्रदेशों के बीच भी सहयोग बढ़ रहा है। उन्होंने गुजरात और अन्दिजों की सफल भागीदारी के मॉडल को इसका उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इसी तर्ज पर अब हरियाणा और फरगाना के बीच सहयोग की रूपरेखा बन रही है।