India Russia Agreement: भारत-रूस के बीच हुए कई अहम समझौते, आतंकवाद से निपटने पर भी चर्चा
India-Russia Agreement: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। रूस ने भारतीय वस्तुओं को अधिक बाजार पहुंच देने पर सहमति जताई। भारत-रूस उर्वरक कंपनियों ने 1.2 अरब डॉलर का यूरिया संयंत्र लगाने का करार किया। ध्रुवीय क्षेत्रों में जहाज विशेषज्ञों के प्रशिक्षण पर समझौता हुआ। भारतीय सेना के लिए रूसी सैन्य उपकरण और पुर्जों का निर्माण भारत में करने पर सहमति बनी। छोटे मॉड्यूलर संयंत्रों और परमाणु ऊर्जा सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने आतंकवाद से निपटने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया।
रूस भारतीय वस्तुओं को अधिक बाज़ार पहुंच देने पर सहमत हुआ
रूस ने शुक्रवार को भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर उसकी चिंताओं को दूर करने के लिए भारतीय वस्तुओं को अधिक बाज़ार पहुंच देने पर सहमति जतायी, क्योंकि आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता का मुख्य केंद्र बिंदु था।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि शिखर सम्मेलन का व्यापक उद्देश्य भारत-रूस साझेदारी के आर्थिक आयाम का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करना था, ताकि 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर के साझा लक्ष्य की ओर आगे बढ़ाया जा सके।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-रूस संबंध तेजी से जटिल होते जा रहे भू-राजनैतिक वातावरण में रचनात्मक साझेदारी का प्रमुख आधार बने हुए हैं और दोनों पक्ष इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि वर्तमान परिस्थितियां, दोनों देशों के सामने जो चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं, उन्हें दूर करने में दोनों देश अपना योगदान जारी रखें।'' रूसी कच्चे तेल की खरीद रोकने के लिए भारत पर बढ़ते अमेरिकी दबाव की पृष्ठभूमि में दोनों पक्षों ने ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सहयोग की भी समीक्षा की।
भारत-रूस की उर्वरक कंपनियों ने 1.2 अरब डॉलर की यूरिया संयंत्र लगाने का समझौता किया
भारत की तीन उर्वरक कंपनियों - आरसीएफ, आईपीएल और एनएफएल - ने शुक्रवार को रूस की कंपनी यूरालकेम के साथ 1.2 अरब डॉलर (लगभग 10,000 करोड़ रुपये) की अनुमानित लागत से एक नया यूरिया संयंत्र स्थापित करने के लिए समझौता किया।
सूत्रों ने यह जानकारी दी। रूस के किसी शहर में लगने वाले इस संयंत्र की सालाना क्षमता 20 लाख टन होगी और इसके 2028 के मध्य तक चालू होने की उम्मीद है।
भारत यूरिया का शुद्ध आयातक है और इस समझौते से उसे सुरक्षित और निश्चित आपूर्ति का लाभ मिलेगा। इस संबंध में सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर की घोषणा करते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने ''भारत को खाद की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने के कदमों का स्वागत किया और इस क्षेत्र में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की संभावना पर चर्चा की।''
मंत्रालय ने बताया कि एमओयू रूस की जेएससी यूरालकेम और भारतीय कंपनियों – राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (आरसीएफ), नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) और इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) के गठजोड़ के बीच हुआ है। नया संयंत्र यूरिया उत्पादन के लिए रूस के प्राकृतिक गैस और अमोनिया संसाधनों का उपयोग करेगा।
सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित संयुक्त कंपनी में आरसीएफ और आईपीएल की 45-45 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी, जबकि बाकी हिस्सेदारी एनएफएल की होगी। बयान के मुताबिक 1.2 अरब डॉलर का प्रस्तावित निवेश इक्विटी और कर्ज के जरिए पूरा किया जाएगा।
भारत ने भले ही घरेलू यूरिया उत्पादन बढ़ाया है, लेकिन कमी पूरी करने के लिए अभी भी आयात करता है। देश ने 2024-25 में 56.47 लाख टन यूरिया आयात किया, जिसमें से बड़ी मात्रा रूस से आई थी।
भारत, रूस ने ध्रुवीय क्षेत्रों में जहाज विशेषज्ञों के प्रशिक्षण हेतु समझौता किया
भारत और रूस ने शुक्रवार को ध्रुवीय जल में संचालित होने वाले जहाजों के लिए विशेषज्ञों के प्रशिक्षण हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आए हैं।
विदेश मंत्रालय (एमईए) द्वारा जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ''ध्रुवीय जल में परिचालन करने वाले जहाजों के लिए विशेषज्ञों के प्रशिक्षण हेतु भारत सरकार के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय और रूस सरकार के परिवहन मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।''
भारतीय सेना के लिए रूसी सैन्य उपकरण, अतिरिक्त पुर्जे का निर्माण भारत में किया जाएगा
रूस ने भारत को बेचे गए अपने हथियारों एवं रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए सैन्य उपकरणों एवं अतिरिक्त पुर्जों का निर्माण भारत में ही करने को लेकर शुक्रवार को सहमति जताई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता के दौरान समग्र द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर प्रमुखता से चर्चा हुई।
सशस्त्र बलों की यह लंबे समय से शिकायत रही है कि रूस से महत्वपूर्ण पुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति में काफी समय लगता है, जिससे देश से खरीदी गई सैन्य प्रणालियों का रखरखाव प्रभावित होता है।
एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘दोनों पक्ष प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से ‘मेक-इन-इंडिया' कार्यक्रम के तहत रूसी हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव के लिए पुर्जों, घटकों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए।''
संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, दोनों पक्ष भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित करने तथा पारस्परिक रूप से मित्रवत तीसरे देशों को निर्यात करने पर भी सहमत हुए। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि भारत-रूस रक्षा साझेदारी को उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकी और प्रणालियों के संयुक्त सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए पुनः शुरू किया जा रहा है।
बृहस्पतिवार को हुई बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रे बेलौसोव ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। बैठक में भारतीय पक्ष ने अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए रूस से एस-400 मिसाइल प्रणालियों की अतिरिक्त खेपों की खरीद में गहरी रुचि दिखाई।
भारत, रूस ने छोटे मॉड्यूलर संयंत्रों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर सहयोग की संभावनाएं तलाशी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शुक्रवार को शिखर वार्ता के दौरान भारत में रूसी संयंत्रों के साथ दूसरे परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए स्थान के चयन और छोटे मॉड्यूलर संयंत्रों को लेकर सहयोग के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई। दोनों पक्षों ने स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने के संदर्भ में असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की। मोदी ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, ‘‘ऊर्जा सुरक्षा भारत-रूस साझेदारी का एक मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है।
असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों के दशकों पुराने सहयोग ने हमारी साझा स्वच्छ ऊर्जा प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हम इस दोनों पक्षों के लिए लाभकारी सहयोग को आगे बढ़ाते रहेंगे।''
वार्ता में दोनों पक्षों ने तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के कार्यान्वयन की समीक्षा की। यह संयंत्र रूस की सरकारी परमाणु निगम रोसाटॉम की सहायता से बनाया जा रहा है।
पुतिन ने कहा, ‘‘इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र के पूर्ण क्षमता के साथ काम करने से भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं में उल्लेखनीय योगदान होगा। इससे भारतीय उद्यमों और घरों को सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।''
ऐसा माना जा रहा है कि दोनों पक्षों ने छोटे मॉड्यूलर संयंत्रों के निर्माण पर सहयोग की संभावना पर चर्चा की। वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि नए एजेंडे के तहत परमाणु ऊर्जा और संबंधित उच्च प्रौद्योगिकियों के शांतिपूर्ण उपयोग के संबंध में सहयोग पर भी चर्चा की गई।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों पक्षों ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए ‘‘भारत में दूसरे स्थान के चयन पर आगे चर्चा के महत्व पर जोर दिया'' तथा कहा कि भारतीय पक्ष पहले हस्ताक्षरित समझौतों के अनुसार दूसरे स्थल के औपचारिक आवंटन को अंतिम रूप देने का प्रयास करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि कुडनकुलम में तीसरे और चौथे संयंत्र के लिए काम जारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक दूसरे स्थल (परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए) की बात है, तो यह ऐसा मुद्दा है जिस पर दोनों देशों के बीच कुछ समय से चर्चा जारी है।''
मोदी और पुतिन ने आतंकवाद से निपटने के तरीकों पर चर्चा की; वैश्विक लड़ाई का आह्वान किया
भारत और रूस ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में किसी तरह का समझौता नहीं करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता पर सीधा हमला बताते हुए जोर देकर कहा कि इसके खिलाफ लड़ाई में किसी तरह के गुप्त एजेंडा और दोहरे मापदंड की गुंजाइश नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने द्विपक्षीय शिखर वार्ता में जम्मू कश्मीर के पहलगाम और मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा की तथा आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं' करने की नीति पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने सीमापार से आतंकवादियों की गतिविधि और आतंकवाद के वित्तपोषण सहित सभी प्रकार के आतंकवाद को रोकने तथा उसका मुकाबला करने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त की।
मोदी ने कहा, ‘‘भारत और रूस लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। चाहे वह पहलगाम में आतंकवादी हमला हो या क्रोकस सिटी हॉल पर कायरतापूर्ण हमला - इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है।''
मार्च में क्रोकस सिटी हॉल पर हुए आतंकवादी हमले का संबंध कथित तौर पर आईएसकेपी (इस्लामिक स्टेट - खुरासान प्रोविंस) के आतंकवादियों से था, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र से अपनी गतिविधियां संचालित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत का दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा हमला है और इसके खिलाफ वैश्विक एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।''
अपनी वार्ता में मोदी और पुतिन ने आईएसआईएस, आईएसकेपी और उनके सहयोगियों सहित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों के खिलाफ कदम उठाने पर भी जोर दिया। रूसी राष्ट्रपति बृहस्पतिवार शाम को नयी दिल्ली पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। मोदी ने स्वयं हवाई अड्डे पर पुतिन का स्वागत किया और बाद में उनके लिए एक निजी रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसने 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की रूपरेखा तय की।
शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि मोदी और पुतिन ने आतंकवाद के सभी कृत्यों की स्पष्ट रूप से निंदा की, चाहे उनका उद्देश्य कुछ भी हो। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘दोनों नेताओं ने अलकायदा, आईएसआईएस/दाएश और उनके सहयोगियों सहित संयुक्त राष्ट्र में सूचीबद्ध सभी आतंकवादी समूहों और संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया।
इसका उद्देश्य आतंकवादियों के पनाहगाहों को नष्ट करना, आतंकवादी विचारधारा के प्रसार को रोकना, आतंकवादी वित्तपोषण के माध्यमों और अंतरराष्ट्रीय अपराध के साथ उनके गठजोड़ को खत्म करना एवं आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधि को रोकना है।'' संयुक्त वक्तव्य के मुताबिक, दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और चरमपंथ के सभी रूपों के खिलाफ लड़ाई में ‘‘किसी तरह का समझौता नहीं करने'' का आह्वान किया।
साथ ही, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी तरह के गुप्त एजेंडा और दोहरे मापदंड को अस्वीकार करते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून एवं संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के आधार पर सहयोग बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया।'' संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रासंगिक प्रस्तावों को दृढ़ता से कार्यान्वित करने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के संतुलित कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया।''
भारत और रूस ने आतंकवाद से निपटने में देशों और उनके सक्षम प्राधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर भी जोर दिया। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, ‘‘उन्होंने आतंकवाद पर कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति और संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने, साथ ही आतंकवाद एवं आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने का आह्वान किया।''
संयुक्त वक्तव्य के मुताबिक, दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2022 में भारत में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति की विशेष बैठक को भी याद किया और नए एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल को रोकने संबंधी सर्वसम्मति से अपनाए गए दिल्ली घोषणा-पत्र का उल्लेख किया।
भारत और रूस ने कहा कि घोषणापत्र का उद्देश्य आतंकवादियों द्वारा सूचना और संचार प्रौद्योगिकी जैसे कि भुगतान प्रौद्योगिकी, सोशल मीडिया मंच और धन उगाही के तरीकों तथा मानव रहित हवाई यान (यूएवी या ड्रोन) के दुरुपयोग से जुड़ी मुख्य चिंताओं को शामिल करना है। वक्तव्य में कहा गया, ‘‘दोनों पक्षों ने इस क्षेत्र में और अधिक सहयोग विकसित करने की अपनी तत्परता भी व्यक्त की, जिसमें ऑनलाइन क्षेत्र में कट्टरपंथ और चरमपंथी विचारधारा के प्रसार को रोकने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।''
इसके मुताबिक, दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान पर भारत और रूस के बीच घनिष्ठ समन्वय को भी रेखांकित किया। दोनों नेताओं ने मॉस्को प्रारूप बैठकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
मोदी और पुतिन ने आईएसआईएस और आईएसकेपी (इस्लामिक स्टेट - खुरासान प्रांत) और उनके सहयोगियों सहित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी उपायों का स्वागत किया और विश्वास व्यक्त किया कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई व्यापक और प्रभावी होगी। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘दोनों नेताओं ने अफगानों को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया।''
