पाक को आतंक पोषित साबित करने और वित्तीय मदद रोकने पर भारत दृढ़
नयी दिल्ली, 23 मई (एजेंसी)
भारत वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की अगली बैठक में पाकिस्तान को फिर से निगरानी सूची में रखे जाने के लिए ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखेगा। इसके साथ ही विश्व बैंक से पाकिस्तान को दी जाने वाली राशि का भी विरोध किया जाएगा। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आतंकवादियों का लगातार समर्थन करने, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) व विश्व बैंक जैसे संस्थानों से मिलने वाली राशि का उपयोग हथियार खरीदने और धनशोधन पर लगाम लगाने में पाकिस्तान की नाकामी को उजागर करने के साथ भारत यह कदम उठाने जा रहा है। पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी। भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह दी है। यह बात तब भी स्पष्ट हुई जब सात मई को भारतीय सैन्य हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मौजूद थे। एफएटीएफ के एशिया-प्रशांत समूह (एपीजी) की अगली बैठक 25 अगस्त को होने वाली है। इस दौरान भारत संस्थान के समक्ष अपनी बातों को रख सकता है।
हथियारों पर अप्रत्याशित खर्च के घेरे में पाक
एफएटीएफ की निगरानी सूची में पाकिस्तान को पहली बार फरवरी, 2008 में रखा गया था लेकिन जून, 2010 में उसे सूची से हटा दिया गया। फरवरी 2012 में इसे वापस सूची में रखा और फिर फरवरी 2015 में हटा दिया। जून 2018 में तीसरी बार भी निगरानी सूची में लाया गया था लेकिन अक्तूबर 2022 में हटा दिया गया। उस समय एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपने धन शोधन निरोधक/आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए काम करना जारी रखने के लिए कहा था।
सार्वजनिक आंकड़ों को देखें तो पाकिस्तान अपने बजट का औसतन 18 प्रतिशत ‘रक्षा मामलों और सेवाओं’ पर खर्च करता है, जबकि संघर्ष-प्रभावित देश भी औसतन इससे कहीं कम (अपने आम बजट का 10-14 प्रतिशत) खर्च करते हैं। 1980 से 2023 तक पाकिस्तान के हथियारों के आयात में औसतन 20% से अधिक की वृद्धि हुई है। हथियारों के आयात में वृद्धि उन वर्षों में हुई जब उसे आईएमएफ से
धन मिला है।
‘तनाव के समय आईएमएफ से पाकिस्तान को धन मिलना सही नहीं’
सूत्र ने कहा, ‘भारत को विकास उद्देश्यों के लिए किसी भी देश को धन दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव और युद्ध जैसी स्थिति थी, उस समय आईएमएफ से धन मिलना सही नहीं था। पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि वह लोगों के लिए नहीं, बल्कि हथियार खरीदने के लिए खर्च करता है। इससे पहले, भारत ने मुद्राकोष के समक्ष पाकिस्तान को 2.3 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता दिये जाने पर विरोध जताया था। यही कारण है कि हाल में पाकिस्तान को वित्तीय सहायता की मंजूरी कुछ शर्तों के साथ दी गई है।