India European Union : एस जयशंकर बोले - भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाना चाहिए
India European Union : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य में अस्थिरता ने भारत और जर्मनी के बीच संबंधों को विस्तार देने के लिए एक ‘‘बहुत ही मजबूत'' मामला बना दिया है और नयी दिल्ली और यूरोपीय संघ के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाना चाहिए क्योंकि इससे विश्व अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद मिलेगी।
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ अपनी वार्ता के बाद, जयशंकर ने भारत के साथ व्यापार को दोगुना करने संबंधी बर्लिन के संकल्प का भी स्वागत किया और कहा कि विचार-विमर्श का ध्यान व्यापार, रक्षा और सुरक्षा, हरित हाइड्रोजन, भविष्य की प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा, शिक्षा और गतिशीलता के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना था। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि (बातचीत का) एक और दौर जल्द ही शुरू होगा। हम चाहते हैं कि आने वाले दिनों में यह एक निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंच जाए।'' उन्होंने वेडफुल के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘और हमारा मानना है कि यह हमारे पारस्परिक हित में होगा। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद मिलेगी।''
उन्होंने कहा, ‘‘यह वहां एक बड़ा कारक होगा। यह एक प्रकार का सहारा होगा, जिसकी आज विश्व अर्थव्यवस्था को वास्तव में जरूरत है।'' ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों के कारण भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के मद्देनजर इस टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जयशंकर ने कहा, ‘‘वेडफुल ने मुझे आश्वासन दिया कि जर्मनी यूरोपीय संघ के साथ एफटीए वार्ता में अपना पूरा सहयोग देगा।'' एक महत्वपूर्ण घोषणा में विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि छात्र आदान-प्रदान को और बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज यात्राओं के लिए निःशुल्क वीजा देने पर सहमति हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने वैज्ञानिक सहयोग और अनुसंधान के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ाने का संकल्प लिया है।
जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में जर्मनी के समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के संबंध में जर्मनी ने जो समझदारी दिखाई है, उसकी हम बहुत कद्र करते हैं। मंत्री वेडफुल ने खुद आतंकवादी हमलों से अपने लोगों की रक्षा करने के हमारे अधिकार के बारे में स्पष्ट रूप से बात की है।'' विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने व्यापार, रक्षा और सुरक्षा, हरित हाइड्रोजन, सेमीकंडक्टर, भविष्य की प्रौद्योगिकियों, स्वच्छ ऊर्जा और गतिशीलता के क्षेत्रों में संबंधों के विस्तार पर विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘‘हम वैश्विक रणनीतिक परिदृश्य में बहुत व्यापक बदलाव देख रहे हैं। हम वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भी काफी अस्थिरता देख रहे हैं। और मुझे लगता है कि ये दोनों मिलकर भारत और यूरोपीय संघ तथा भारत और जर्मनी के लिए एक-दूसरे के साथ और भी ज्यादा निकटता से काम करने का एक मज़बूत आधार तैयार करते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसा संबंध है जिसमें काफी तेजी से विकास की संभावनाएं हैं।'' जयशंकर ने कहा कि ‘‘दुनिया में बड़े बदलाव हो रहे हैं'' और ये ‘‘भारत-जर्मनी संबंधों को और अधिक गहरा, मजबूत और व्यापक बनाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं।''
विदेश मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच रक्षा सहयोग पर कहा कि द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को बढ़ाने पर व्यापक सहमति बनी है। उन्होंने रक्षा सहयोग के संदर्भ में निर्यात नियंत्रण से संबंधित कुछ मुद्दों पर जर्मनी द्वारा ध्यान दिए जाने का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘अतीत में, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में निर्यात नियंत्रण संबंधी गंभीर कठिनाइयां रही हैं। मैं आज उन प्रक्रियाओं के सुचारू होने और तेजी से मंज़ूरी मिलने के लिए अपनी सराहना व्यक्त करना चाहता हूं। हमने इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच बेहतर औद्योगिक सहयोग पर भी बात की।'' पनडुब्बियों के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच प्रस्तावित सहयोग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह ‘‘ऐसा विषय नहीं है जिस पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे।''
उन्होंने कहा, ‘‘यह रक्षा मंत्रालयों के बीच का मामला है। लेकिन हमने, उदाहरण के लिए, भारत और जर्मनी के बीच तेजी से मंजूरी मिलने और बढ़ते रक्षा व्यापार पर चर्चा की, जो वास्तव में काफी बढ़ गया है।'' द्विपक्षीय व्यापार के बारे में जयशंकर ने कहा कि पिछले वर्ष यह लगभग 50 अरब यूरो था तथा इसे बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में जर्मन निवेश का स्वागत करता है। जर्मनी ने बुधवार को कहा कि वह भारत के साथ अपने समग्र संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही उसने संबंधों में ‘‘विश्वसनीयता, पूर्वानुमान और मित्रता'' पर प्रकाश डाला, जो वर्तमान भू-राजनीतिक उथल-पुथल से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है।
जर्मनी के विदेश मंत्री वेडफुल ने यहां जयशंकर के साथ व्यापक वार्ता के बाद यह बात कही। वेडफुल ने भारत के अपने समकक्ष के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस का ‘‘आक्रामक युद्ध'' यूरोप की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। जर्मनी के विदेश मंत्री ने चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान मंगलवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने पर दिए गए जोर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम यूरोपीय लोग अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, अपने अमेरिकी और यूक्रेनी मित्रों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह युद्ध शीघ्र समाप्त हो और यूक्रेन को एक संप्रभु देश के रूप में शांति मिले।''
वेडफुल ने स्वीकार किया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ‘‘हम अपने भारतीय मित्रों के साथ हमेशा 100 प्रतिशत एकमत नहीं होते।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां हुई खुली चर्चा के लिए आभारी हूं। शांति, सुरक्षा, स्वतंत्रता और समृद्धि का आधार है।'' जर्मनी के विदेश मंत्री ने रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों को भी उचित ठहराया। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें तथाकथित तेल मूल्य सीमा भी शामिल है। इसका उद्देश्य रूस के वित्तीय आधार को खत्म करना है जिससे वह यह युद्ध लड़ सके।'' जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जब भारत को आतंकवाद से अपनी रक्षा करने की बात आती है, तो जर्मनी पूरी दृढ़ता से आपके साथ खड़ा है।'' उन्होंने यह भी कहा कि जर्मनी यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौते का पुरजोर समर्थन करता है। चीन के बारे में पूछे जाने पर वेडफुल ने कहा, ‘‘हमारे लिए चीन कुछ क्षेत्रों में साझेदार है... हम चीन को एक प्रतिस्पर्धी के रूप में भी देखते हैं।''