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India Canada row: भारत ने अमित शाह पर लगाए गए कनाडा के आरोपों को बताया बेबुनियाद और निराधार

भारत ने कनाडा के हाई कमीशन के प्रतिनिधि को तलब कर विरोध दर्ज कराया
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अजय बनर्जी/ट्रिन्यू, नई दिल्ली, 2 नवंबर

India Canada row: भारत ने कनाडा द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारत ने कनाडा के हाई कमीशन के प्रतिनिधि को तलब कर विरोध दर्ज कराया और इन आरोपों को "बेबुनियाद और निराधार" करार दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि कनाडा में 29 अक्टूबर को पब्लिक सेफ्टी एंड नेशनल सिक्योरिटी स्टैंडिंग कमिटी के सामने शाह के खिलाफ एक बयान दिया गया था, जिसे भारत ने गंभीरता से लिया है।

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जायसवाल ने बताया कि इस मामले में एक कड़ा कूटनीतिक नोट कनाडाई प्रतिनिधि को सौंपा गया। उन्होंने कहा, "भारत सरकार ने समिति के सामने डिप्टी मिनिस्टर डेविड मॉरिसन द्वारा किए गए संदर्भों का कड़ा विरोध किया है।"

प्रवक्ता ने यह भी कहा कि उच्च कनाडाई अधिकारियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत को लेकर निराधार आरोप फैलाना कनाडा की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसका उद्देश्य भारत की छवि को धूमिल करना और अन्य देशों पर प्रभाव डालना है। उन्होंने कहा, "कनाडा के ऐसे गैर-जिम्मेदाराना कदमों का द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।"

कनाडा द्वारा साइबर सुरक्षा पर लगाए गए आरोपों का खंडन

कनाडा की ओर से भारत को साइबर सुरक्षा के लिए खतरा बताने के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने कहा, "यह भी कनाडा की भारत के खिलाफ हमले की एक अन्य रणनीति का हिस्सा लगता है। कनाडा के वरिष्ठ अधिकारियों ने खुलेआम स्वीकार किया है कि वे भारत के खिलाफ वैश्विक राय को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह आरोप भी बिना किसी प्रमाण के लगाया गया है।"

भारतीय अधिकारियों की निगरानी पर भारत का कड़ा विरोध

इसके अलावा, जायसवाल ने बताया कि कुछ भारतीय राजनयिक अधिकारियों को कनाडाई सरकार ने सूचित किया है कि वे ऑडियो और वीडियो निगरानी में हैं, और उनकी संचार प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया गया है। भारत ने इस पर भी कनाडा को औपचारिक विरोध पत्र भेजा है, इसे "कूटनीतिक और वाणिज्यिक संधियों का उल्लंघन" बताते हुए जायसवाल ने कहा कि कनाडा का यह कदम भारत के राजनयिक अधिकारियों के लिए असुरक्षित माहौल बना रहा है।

उन्होंने कहा, "कनाडा सरकार की यह हरकत स्थापित कूटनीतिक मानदंडों और प्रथाओं के विरुद्ध है। इससे पहले से ही चुनौतीपूर्ण माहौल में कार्य कर रहे हमारे राजनयिक और कांसुलर अधिकारी और अधिक खतरे में पड़ गए हैं।"

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