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US-China trade war अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का भारत पर असर: बढ़ा निर्यात, लेकिन बढ़ा जोखिम भी

शेयर बाजार में उछाल और रुपये की मजबूती
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विभा शर्मा/ट्रिन्यू

नयी दिल्ली, 12 अप्रैल

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US-China trade war अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापार युद्ध ने एक बार फिर वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। भले ही भारत सीधे इस टकराव का हिस्सा नहीं है, लेकिन इसके आर्थिक प्रभाव देश में साफ महसूस किए जा रहे हैं — सोने की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि, डॉलर में गिरावट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक ब्याज दर कटौती की अटकलों से भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कुछ टैरिफ्स पर 90 दिनों की रोक लगाने के फैसले से निवेशकों में सकारात्मक माहौल बना और निफ्टी-50 और बीएसई सेंसेक्स में लगभग 2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, भारतीय रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 64 पैसे की मजबूती के साथ 86.10 पर बंद हुआ। सप्ताह की शुरुआत में रुपया जहां 86.70 के चार हफ्तों के न्यूनतम स्तर पर था, वहीं शुक्रवार तक यह 85.95 तक चढ़ा और अंततः 86.10 पर स्थिर हुआ।

डॉलर इंडेक्स में गिरावट और वैश्विक प्रतिक्रिया

ट्रंप के फैसले के बाद डॉलर इंडेक्स तीन साल में पहली बार 100 के नीचे आ गया। दूसरी ओर, चीन ने भी अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर 125% टैरिफ लगा दिया, जबकि अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यापारिक तनाव में चीन अपनी मुद्रा युआन को कमजोर कर सकता है, जिससे अन्य मुद्राओं, खासकर भारतीय रुपये पर दबाव बन सकता है।

भारत-चीन व्यापार संबंध और असंतुलन

भारत ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में चीन को 16.65 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो पिछले वर्ष के 15.30 अरब डॉलर से अधिक है। हालांकि, चीन के साथ व्यापार घाटा अब भी भारत का सबसे बड़ा है।

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने चीन को जो प्रमुख वस्तुएं निर्यात कीं, उनमें शामिल हैं:

अप्रैल से नवंबर 2024 के दौरान भारत का चीन को निर्यात 9.20 अरब डॉलर रहा।

भारत पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव

भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल और ऑटोमोबाइल सेक्टर, चीनी घटकों पर निर्भर हैं। फार्मा सेक्टर में उपयोग होने वाले करीब 70% सक्रिय रसायन चीन से ही आते हैं। ऐसे में चीन से सस्ते उत्पादों की भारत में बाढ़ स्थानीय उत्पादकों के लिए संकट बन सकती है।

भारत की रणनीति और संभावनाएं

सकारात्मक पक्ष यह है कि भारत ने अमेरिका-चीन टैरिफ विवाद पर संयमित और संतुलित रुख अपनाया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच अगले 90 दिनों में एक अस्थायी व्यापार समझौता हो सकता है, जिससे भारत को क्षेत्रीय “फर्स्ट-मूवर” लाभ मिल सकता है। अमेरिका भी भारत की रणनीतिक महत्ता को समझता है, लेकिन कोई भी समझौता पारस्परिक लाभ पर आधारित होगा।


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