गुरुग्राम, 25 मार्च (एजेंसी) गुरुग्राम के जिस आवासीय परिसर में पिछले महीने एक इमारत का हिस्सा गिरने से दो लोगों की मौत हो गई थी, उस परिसर के ढांचे की जांच में आईआईटी दिल्ली की टीम ने पाया है कि इमारतें उम्मीद से पहले पुरानी हो रही हैं। जांच दल ने इमारतों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं। आईआईटी की टीम ने ढांचे के व्यवस्थित विश्लेषण का सुझाव देते हुए कहा कि परिसर के टावर-जी के स्टील में जंग लग गया है। सेक्टर-109 स्थित चिन्टेल्स पैराडाइसो के टावर-डी के छठे तल पर स्थित एक अपार्टमेंट का कमरा 10 फरवरी को ढह गया था, जिसके कारण उसके नीचे प्रथम तल तक छत और फर्श भी गिर गए थे। आईआईटी के जांच दल ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा कि ऐसा लगता है कि संरचना के डिजाइन, निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता और निर्माण की गुणवत्ता में खराबी थी। इन सभी संभावनाओं पर विस्तार से सर्वेक्षण, जांच, समीक्षा और विश्लेषण करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि संरचनाओं के डिजाइन में खामी की समीक्षा के लिए एक विस्तृत संरचनात्मक डिजाइन की आवश्यकता है। इसके लिए आईआईटी दिल्ली की समिति के निर्देश में एक मान्यता प्राप्त संरचनात्मक डिजाइनर को काम करना चाहिए।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।