बांग्ला भाषियों का उत्पीड़न बंद न किया तो भयानक राजनीतिक परिणाम भुगतने होंगे
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर देश भर में बांग्ला भाषी लोगों को परेशान करने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने की नीति अपनाने का आरोप लगाया और भगवा पार्टी को चेतावनी दी कि अगर उसने इस तरह की हरकतों पर तुरंत रोक नहीं लगाई तो उसे गंभीर राजनीतिक परिणाम भुगतने होंगे। बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार राज्यों में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ‘भारत के चुनाव आयोग को प्रभावित’ कर रही है। वह भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों पर कथित अत्याचार के खिलाफ बारिश से भीगे कोलकाता में एक विरोध मार्च निकालने के बाद एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं। भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने अब से ज़्यादा बांग्ला में बोलने का फैसला किया है, अगर हो सके तो मुझे डिटेंशन कैंप में बंद कर दो।’ देश के अन्य हिस्सों में बंगाल के लगभग 22 लाख प्रवासी कामगारों के काम करने का ज़िक्र करते हुए, जिनके पास आधार, ईपीआईसी और पैन कार्ड जैसे वैध पहचान पत्र हैं, बनर्जी ने कहा कि वह तुच्छ आधार पर उनके साथ किए गए किसी भी अनादर को बर्दाश्त नहीं करेंगी। तृणमूल कांग्रेस अमूमन 21 जुलाई को हर साल आयोजित की जाने वाली अपनी शहीद दिवस रैली से पहले बड़े कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखती है। लेकिन ओडिशा में प्रवासी कामगारों की हिरासत, दिल्ली में अतिक्रमण रोधी अभियान और असम में एक विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा कूच बिहार के एक किसान को नोटिस जारी करने जैसी हालिया घटनाओं ने पार्टी को अपना रुख बदलने पर मजबूर कर दिया है।
मोदी के राज्य के दौरे से एक दिन पहले विरोध प्रदर्शन
मध्य कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से दोपहर लगभग पौने दो बजे शुरू हुए मार्च में बनर्जी ने हजारों लोगों का नेतृत्व किया और इस दौरान तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। ये विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य के निर्धारित दौरे से एक दिन पहले हो रहे हैं।
‘खेला होबे’ के नये दौर के लिए तैयार रहे भाजपा
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने रैली में आरोप लगाया, ‘मैं केंद्र सरकार के उन नोटिसों को चुनौती दू्ंगी जो बंगाली भाषी लोगों को परेशान करने और मामूली संदेह पर उन्हें हिरासत में लेने के लिए भाजपा शासित राज्यों को गुप्त रूप से भेजे गए थे।’ उन्होंने कहा कि भगवा खेमे को 2026 के विधानसभा चुनावों के दौरान ‘खेला होबे’ के एक नये दौर के लिए तैयार रहना चाहिए।