Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

एफआईआर पर अड़ीं आईएएस पत्नी, पोस्टमॉर्टम तीसरे दिन भी टला

आईपीएस वाई पूरन आत्महत्या मामला सीएम ने की हाई लेवल मीटिंग

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

हरियाणा के सीनियर आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या मामले में बृहस्पतिवार को तीसरे दिन भी शव का पोस्टमॉर्टम नहीं हो सका। पूरन की पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार ने मुख्यमंत्री नायब सैनी से मुलाकात के दौरान आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उनकी गिरफ्तारी की मांग की। परिवार के सदस्यों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक चंडीगढ़ पुलिस शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं करती, पोस्टमॉर्टम नहीं कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने शाम 5 बजे तक का समय मांगा था। इसके बाद सीएम ने हाई-लेवल मीटिंग की। बैठक में मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर और कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार मौजूद रहे। माना जा रहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार डीजीपी शत्रुजीत कपूर को लंबी छुट्टी पर भेज सकती है। साथ ही, रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारणिया को हटाया जा सकता है।

Advertisement

इस घटना के बाद हरियाणा में दलित आईएएस और आईपीएस एकजुट हो गए हैं, जबकि अन्य वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारी आमने-सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं। पहले विजिलेंस ब्यूरो के निदेशक रहे डीजीपी शत्रुजीत कपूर पर आईएएस लॉबी पहले से ही असंतोष जताती रही थी। पूरन कुमार के सुसाइड ने इस असंतोष को और बल दिया है।

Advertisement

पूरन कुमार की पत्नी से मिले सीएम : मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अमनीत के सरकारी आवास पर उनसे मुलाकात की। वह लगभग 50 मिनट तक वहां रहे। उन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

अमनीत ने लिखा सीएम को पत्र

वाई पूरन की पत्नी अमनीत ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुसाइड नोट और शिकायत में दर्ज सभी लोगों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज करने, उन्हें निलंबित कर गिरफ्तार करने और परिवार को आजीवन सुरक्षा देने की मांग की। उन्होंने लिखा कि परिवार, विशेषकर दोनों बेटियों को स्थायी सुरक्षा कवच उपलब्ध करवाया जाए और परिवार की गरिमा और अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने लिखा, वे (वाई पूरन कुमार) राष्ट्रपति पदक से सम्मानित थे और समाज के वंचित वर्गों, खासकर अनुसूचित जाति समुदाय के लिए प्रेरणा स्रोत बने।... उनकी असामयिक मृत्यु ने समुदाय की न्याय व्यवस्था में आस्था को गहरा आघात पहुंचाया है।... यह सुसाइड नोट एक मरते हुए व्यक्ति की अंतिम घोषणा है और इसे निर्णायक साक्ष्य के रूप में लेकर तत्काल कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।... 1989 के एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में जांच तुरंत होनी चाहिए।... ये ‘हाई रैंकिंग पावरफुल अफसर’ उनके परिवार को फंसाने या बदनाम करने की कोशिश कर सकते हैं। पत्र के अंत में उन्होंने लिखा, ‘यह मामला केवल एक अधिकारी की मृत्यु का नहीं है, बल्कि यह न्याय, समानता और कानून के राज की परीक्षा है। वाई पूरन कुमार जैसे ईमानदार अधिकारी की मौत पर मौन रहना पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता को दर्शाता है। आपका तत्काल हस्तक्षेप ही नागरिकों के विश्वास को पुनः स्थापित कर सकता है।’

अनुसूचित जाति आयोग ने यूटी के डीजीपी से मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और चंडीगढ़ पुलिस के डीजीपी को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

पीएम के दौरे से पहले प्रशासनिक संकट

पूरन कुमार की आत्महत्या ने हरियाणा के प्रशासनिक तंत्र में गहरा संकट पैदा कर दिया है। दलित अधिकारियों और कर्मचारियों ने एकजुट होकर न्याय की मांग की। वहीं कई वरिष्ठ अधिकारियों ने बचाव में खुद को अलग रखा। सरकार दबाव में है कि मामले का त्वरित समाधान किया जाए, क्योंकि अगले सप्ताह प्रधानमंत्री का हरियाणा दौरा निर्धारित है।

बेटी पहुंचीं चंडीगढ़

पोस्टमॉर्टम को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। अमनीत ने स्पष्ट किया कि वह पोस्टमॉर्टम के दौरान मौजूद रहेंगी और वीडियोग्राफी कराएंगी। उनकी बड़ी बेटी विदेश से वापस आ गई हैं। अमनीत ने गुस्से में कहा कि सुसाइड नोट में जिन अफसरों के नाम हैं, उनके आधार पर एफआईआर दर्ज की जाए, फिर पोस्टमॉर्टम पर फैसला होगा।

Advertisement
×