नयी दिल्ली, 7 जुलाई (एजेंसी)
सेवानिवृत्ति के आठ महीने बाद भी चीफ जस्टिस का सरकारी आवास न छोड़ने को लेकर उठे विवाद पर पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि सामान बांध लिया गया है और वह अपनी पत्नी एवं बच्चों के साथ जल्द ही किराये पर सरकारी आवास में चले जाएंगे।
जस्टिस चंद्रचूड़, उनकी पत्नी कल्पना और बेटियां प्रियंका व माही नयी दिल्ली स्थित पांच कृष्ण मेनन मार्ग पर सीजेआई के आधिकारिक आवास में रह रहे हैं। प्रियंका और माही दोनों
दिव्यांग हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने विवाद पर दुख जताया और अपनी बेटियों की चिकित्सा स्थिति का हवाला दिया, जिन्हें व्हीलचेयर अनुकूल घर की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको नहीं बताऊंगा, लेकिन आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं इसके बारे में कैसा महसूस करता हूं। हम दो बच्चों, प्रियंका और माही के माता-पिता हैं। वे विशेष बच्चे हैं और उनकी विशेष जरूरतें हैं। उन्हें ‘नेमालाइन मायोपैथी’ नामक एक बीमारी है... यह एक बहुत ही दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जो हड्डियों से जुड़ी मांसपेशियों को प्रभावित करता है।’
उन्होंने कहा कि बेटियों को संक्रमण से बचाने के लिए घर पर स्वच्छता का उच्च स्तर बनाए रखते हैं। एक बहुत ही विशेषज्ञ नर्स उनकी देखभाल करती है। उन्होंने कहा, ‘अब यह शायद कुछ दिनों की बात है, ज्यादा से ज्यादा कुछ हफ्तों की। जैसे ही वे मुझे बताएंगे कि नया घर रहने के लिए तैयार है, मैं वहां चला जाऊंगा।’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूर्व सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस एनवी रमण और शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें भी अपने आधिकारिक आवासों में रहने के लिए समय विस्तार दिया गया था। उन्हाेंने कहा कि वह पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिसे सरकार द्वारा आवास आवंटित किया गया है। उन्होंने दावा किया कि समय विस्तार सीजेआई के विवेक पर निर्भर है। गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने एक जुलाई को केंद्र को पत्र लिखकर कहा था कि जस्टिस चंद्रचूड़ सीजेआई बंगले में अनुमति प्राप्त अवधि से अधिक समय तक रहे हैं। पत्र में केंद्र से बंगला खाली कराने की मांग की
गयी है।