एक-दूजे पर निर्भरता नहीं नकार सकते पति-पत्नी : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि ऐसा असंभव है कि विवाह के बाद पति या पत्नी यह कह सकें कि वे अपने जीवनसाथी से स्वतंत्र होना चाहते हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने आगाह करते हुए कहा कि यदि कोई स्वतंत्र रहना चाहता है तो उसे विवाह नहीं करना चाहिए।
शीर्ष अदालत एक दूसरे से अलग रह रहे एक दंपति के मामले की सुनवाई कर रही है। उनके दो बच्चे भी हैं। पीठ ने कहा, ‘अगर वे (दंपति) साथ आ जाते हैं, तो हमें खुशी होगी क्योंकि बच्चे बहुत छोटे हैं। उन्हें घर टूटा हुआ देखने को न मिले। उनका क्या कसूर है कि उनका टूटा हुआ घर हो।’ महिला ने दावा किया कि उसका पति मामले को सुलझाने के लिए तैयार नहीं है। पीठ के एक सवाल पर महिला ने कुछ कठिनाइयों का हवाला दिया। पीठ ने कहा, ‘आपको (पत्नी को) नौकरी मिल सकती है, हो सकता है न मिले, लेकिन पति को आपका और बच्चों का भरण-पोषण करना होगा।’ साथ ही अदालत ने पति को पत्नी और बच्चों के लिए कुछ राशि जमा करने का सुझाव दिया। हालांकि, पत्नी ने न्यायालय से कहा कि वह किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती। जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ‘आप यह नहीं कह सकतीं कि मैं किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहती। फिर आपने शादी क्यों की? मुझे नहीं पता, मैं शायद पुराने ख्यालों वाली हूं, लेकिन कोई भी पत्नी यह नहीं कह सकती।’ शीर्ष अदालत ने याचिकाकार्ता को निर्देश दिया कि वह अपने खिलाफ जारी आदेशों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण के लिए पांच लाख रुपये जमा कराए तथा मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर के लिए स्थगित कर दी।