शौक हथियारां दा... डोप टेस्ट में फेल
डोप टेस्ट का मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की पहचान करना है। कार्यकर्ता संजीव गोयल द्वारा दायर एक आरटीआई याचिका के अनुसार, आवेदकों का 2018 से परीक्षण किया जा रहा है। प्रत्येक आवेदक ने परीक्षण के लिए 1500 रुपये का भुगतान किया, जबकि सरकार का इस पर 700 रुपये का खर्च आया। पंजाब ने इन परीक्षणों से लगभग 55 करोड़ रुपये एकत्र किए।
आरटीआई से मिली जानकारी से पता चला है कि दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के गृह जिले बठिंडा और पटियाला में क्रमशः 4430 और 4207 आवेदक डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गये। पठानकोट एकमात्र ऐसा जिला है, जहां 2744 आवेदकों में से केवल छह ही डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए।
दिलचस्प बात यह है कि 2016 में केंद्र ने हथियार लाइसेंस के लिए अनिवार्य ड्रग टेस्ट लागू किया था, लेकिन पंजाब के अधिकांश हिस्सों में अधिकारियों ने इसे लागू नहीं किया। हालांकि, 2018 में पंजाब सरकार ने लाइसेंस रिन्यु से पहले डोप टेस्ट पास करना अनिवार्य कर दिया। पूर्व सैनिकों और वरिष्ठ नागरिकों को इस टेस्ट से छूट दी गई है।