मुख्य समाचारदेशविदेशखेलबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाफीचरसंपादकीयआपकी रायटिप्पणी

Historical Discovery : सोलन के चंबाघाट में मिले 60 करोड़ साल से अधिक पुराने हैं ये स्ट्रोमैटोलाइट फॉसिल, भू- वैज्ञानिक डॉ. रितेश आर्य ने की खोज

ऐतिहासिक खोज : 60 करोड़ साल से अधिक पुराने हैं ये स्ट्रोमैटोलाइट फॉसिल, सोलन जिला के जाने-माने भू- वैज्ञानिक डॉ. रितेश आर्य ने की ये खोज

यशपाल कपूर, सोलन, 13 मई (निस)

Historical Discovery at Solan : गिनीज़ वल्र्ड रिकॉर्ड होल्डर और टेथिस फॉसिल म्यूजय़िम के संस्थापक सोलन के कसौली निवासी डॉ. रितेश आर्य ने सोलन शहर के चंबाघाट के पास जोलाजोरां गांव में दुनिया के सबसे प्राचीन स्ट्रोमैटोलाइट जीवाश्म खोज निकाले। माना जा रहा है कि ये जीवाश्म 60 करोड़ साल से भी अधिक पुराने हैं, जो पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत की कहानी बताते हैं।

क्या कहना है खोज करने वाले वैज्ञानिक का...

इस बारे में डॉ. रितेश आर्य ने कहा कि ये पत्थर नहीं, जिंदा इतिहास हैं, पृथ्वी के पहले जीवों द्वारा बनाए गए स्मारक हैं। इन्होंने ऑक्सीजन का निर्माण शुरू किया, जब धरती पर कोई पेड़-पौधे या जानवर नहीं थे।

ये जलवायु के पहले योद्धा और हमारे ग्रह के मौन इतिहासकार..

स्ट्रोमैटोलाइट्स समुद्र की उथली सतहों पर माइक्रोबियल चादरों द्वारा बनाए गए परतदार पत्थर होते हैं। ये दर्शाते हैं कि आज का सोलन क्षेत्र कभी टेथिस सागर का समुद्री तल हुआ करता था।यह वही सागर जो कभी गोंडवाना (जिसमें भारत, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और अंटार्कटिका शामिल थे) और एशिया के बीच में था। डॉ. आर्य बताय कि जब पृथ्वी की हवा में ऑक्सीजन नहीं थी और ग्रीनहाउस गैसें छाई थीं, तब इन्हीं सूक्ष्म जीवों ने करीब 2 अरब साल में धीरे-धीरे ऑक्सीजन बनाना शुरू किया, जिससे आगे जाकर जीवन संभव हुआ।वअगर स्ट्रोमैटोलाइट्स नहीं होते, तो आज ऑक्सीजन भी नहीं होती। हमें इनका आभार मानना चाहिए।

हरियाणा के मोरनी हिल्स और चित्रकूट में भी मिले हैं स्ट्रोमैटोलाइट्स...

डॉ. आर्य बताया कि इससे पहले चित्रकूट और हरियाणा के मोरनी हिल्स से भी स्ट्रोमैटोलाइट्स खोज चुके हैं। ये डिस्कवरी चैनल के लिजेंडस ऑफ रामायण में भी दिखाए गए थे। लेकिन वे मानते हैं कि चंबाघाट के जीवाश्म एक अलग प्रकार की परतदार संरचना दर्शाते हैं, जो एक भिन्न प्राचीन पर्यावरणीय दशा की हमें जानकारी देते हैं। इन सभी जीवाश्मों को टेथिस फॉसिल म्यूजय़िम, सोलन में आम जनता के लिए प्रदर्शित किया गया है। हिमाचल की धरती में करोड़ों साल पुराना समुद्री इतिहास छिपा है। इसे संरक्षित कर हमें अगली पीढिय़ों को सौंपना होगा।

क्या कहना है विशेषज्ञों का....

- पूर्व ओएनजीसी महाप्रबंधक डॉ. जगमोहन सिंह ने कहा कि चंबाघाट के ये स्ट्रोमैटोलाइट्स हमें उस युग में ले जाते हैं जब पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हो रही थी। यह भारत की भूवैज्ञानिक धरोहर में एक ऐतिहासिक योगदान है।

- वाडिया संस्थान के पूर्व वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और स्ट्रोमैटोलाइट्स पर अंतरराष्ट्रीय भूवैज्ञानिक समन्वय कार्यक्रम के सदस्य प्रो. विनोद तिवारी ने कहा कि चंबाघाट का स्ट्रोमैटोलाइट स्थल वैश्विक भूवैज्ञानिक मानचित्र में एक महत्वपूर्ण योगदान बन सकता है, जो पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय समन्वय और सहयोग को प्रोत्साहित करेगा।"

- पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व भूविज्ञान विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ भूवैज्ञानिक प्रो. (डॉ.) अरुणदीप आहलूवालिया ने कहा कि ये जीवाश्म न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि संरक्षण के योग्य भी हैं। इनकी संरचना और आकार अद्भुत हैं।

अब तक क्या हुआ...

चंबाघाट क्षेत्र के जीवाश्मों की पहचान पहले भी जीएसआई वाडिया इंस्टिट्यूट और बीरबल साहनी संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा की जा चुकी है, लेकिन अब तक भारत में केवल तीन जीवाश्म पार्क ही मान्यता प्राप्त हैं। इनमें जैसलमेर (राजस्थान), मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) और सिक्किम (निर्माणाधीन) शामिल है। डॉ. आर्य का मानना है कि हिमाचल के चंबाघाट क्षेत्र को भी समान दर्जा मिलना चाहिए, क्योंकि यह केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भूगर्भीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।

आगे क्या....

डॉ. रितेश आर्य ने डीसी सोलन और पर्यटन अधिकारी को पत्र लिखकर इस स्थान को राज्य जीवाश्म धरोहर स्थल घोषित करने की मांग करने वाले हैं। उनका मानना है कि इससे विज्ञान, संरक्षण और जियो टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। यह सिर्फ जीवाश्म नहीं हैं - यह हमारी धरती की आत्मकथा हैं। हमें इन मौन गवाहों को बचाना होगा, इससे पहले कि बुलडोजर इन्हें खत्म कर दें।

Tags :
Dainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newsGeologist Dr. Ritesh AryaHimachal PradeshHimachal Pradesh NewsHindi NewsHistorical Discovery at Solanlatest newsSolan Newsदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी समाचार