आपने सूट-बूट वाले और एक दिन में दो से तीन बार कपड़े बदलने वाले महामहिम देखे भी होंगे और सुने भी होंगे। ऐसे ‘लाट-साहब’ विरले ही होंगे, जो आज भी सादा खाना, पहनना और जीना पसंद करते हैं। धोती-कुर्ते वाले और कस्सी-खुरपी लेकर खुद ही खेतों को संवारने वाले एक ऐसे महामहिम भी हैं, जो अपने पैतृक प्रदेश यानी हरियाणा ही नहीं बल्कि आसपास व दूर बसे सूबों के किसानों की भी दशा-दिशा बदलने को निकले हैं। जुनून के पक्के ये साहब अब पीछे मुड़कर देखने को तैयार नहीं हैं। ऊपर से ‘प्रधान सेवक’ का भी पूरा साथ और समर्थन है। जी हां, आप सही समझे। हम बात कर रहे हैं गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की। गुजरात से पहले वह हिमाचल प्रदेश के भी गवर्नर रहे। उन्होंने प्राकृतिक खेती की अपनी मुहिम को रंग देने और इस रंग के बूते किसानों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए तीन राज्यों में ‘मिशन प्राकृतिक खेती’ शुरू की है। हिमाचल और गुजरात के बाद अब बारी खुद के प्रदेश यानी हरियाणा की है। विगत दिवस कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में किसानों की कार्यशाला का आयोजन भी हुआ। आचार्य देवव्रत ने बताया कि कैसे गोबर और गोमूत्र के जरिये आर्गेनिक कार्बन बढ़ोतरी से किसानों की आमदनी बढ़ सकती है और लागत कम हो सकती है।
उड़ान भरते-भरते ऐसे हुआ एक साक्षात्कार
यह अपनी तरह का पहला इंटरव्यू है, जो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुआ। दरअसल, कुरुक्षेत्र में हुए कार्यक्रम में भाग लेने के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत आए थे। बुधवार को उनका इंटरनेशनल एयरपोर्ट चंडीगढ़ से अहमदाबाद (गुजरात) जाने का कार्यक्रम था। शाम को 4 बजे उन्हें उड़ान भरनी थी, लेकिन इससे पहले वह एयरपोर्ट के वीआईपी लाउंज में ही दैनिक ट्रिब्यून से साक्षात्कार के लिए राजी हुए। दैनिक ट्रिब्यून संपादक नरेश कौशल ने आचार्य देवव्रत से प्राकृतिक खेती को लेकर विस्तार से बातचीत की।
किसानों की बढ़ेगी आमदनी, धरती को भी मिलेगी नयी ताकत