मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Hindi Diwas 2025 : हिंदी दिवस पर अमित शाह की अपील- सभी भारतीय भाषाओं का करें सम्मान 

संदेश में कहा कि हमारा देश मूलतः एक भाषा-प्रधान देश है
Advertisement
Hindi Diwas 2025 : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करने, एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी व विकसित देश बनाने की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया।
शाह ने कहा कि हिमालय की ऊंचाइयों से लेकर दक्षिण के विशाल समुद्र तटों तक, रेगिस्तान से लेकर बीहड़ जंगलों और गांव की चौपालों तक, भाषाओं ने हर परिस्थिति में मनुष्य को संगठित रहने और संवाद एवं अभिव्यक्ति के माध्यम से एकजुट होकर आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया है। भारतीय भाषाओं की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उन्होंने हर वर्ग और समुदाय को अभिव्यक्ति का अवसर दिया है। उन्होंने हिंदी दिवस के अवसर पर एक संदेश में कहा कि हमारा देश मूलतः एक भाषा-प्रधान देश है। हमारी भाषाएं सदियों संस्कृति, इतिहास, परंपराओं, ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म को पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने का सशक्त माध्यम रही हैं।
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए, गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें दृढ़ विश्वास है कि भाषाएं एक-दूसरे की साथी बनकर और एकता के सूत्र में बंधकर एकसाथ आगे बढ़ रही हैं। हिंदी दिवस के इस अवसर पर, आइए हम हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करें और एक आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी तथा विकसित भारत की ओर आगे बढ़ें। शाह ने कहा कि ‘‘साथ चलें, साथ सोचें और साथ बोलें'' भारत की भाषाई-सांस्कृतिक चेतना का मूल मंत्र रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में बिहू के गीत, तमिलनाडु में ओवियालु की आवाज, पंजाब में लोहड़ी के गीत, बिहार में विद्यापति के पद, बंगाल में बाउल संतों के भजन, कजरी गीत और भिखारी ठाकुर का ‘बिदेसिया' - इन सभी ने देश की संस्कृति को जीवंत और कल्याणकारी बनाए रखा है।  दक्षिण की तरह उत्तर में भी संत तिरुवल्लुवर के पद उतनी ही श्रद्धा से गाए जाते हैं और कृष्णदेवराय दक्षिण में भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने उत्तर में। सुब्रमण्यम भारती की देशभक्तिपूर्ण रचनाएं हर क्षेत्र के युवाओं में राष्ट्रीय गौरव जगाती हैं। गोस्वामी तुलसीदास हर भारतीय के लिए पूजनीय हैं और संत कबीर के दोहे तमिल, कन्नड़ और मलयाली में अनुवादित हैं।
शाह ने कहा कि सूरदास की कविताएं आज भी दक्षिण भारत के मंदिरों और संगीत परंपराओं में प्रचलित हैं। असम के श्रीमंत शंकरदेव और महापुरुष माधवदेव को हर वैष्णव जानता है, और भूपेन हजारिका के गीत हरियाणा के युवा भी गुनगुनाते हैं। गुलामी के कठिन दौर में भी, भारतीय भाषाएं प्रतिरोध की आवाज़ बनीं। स्वतंत्रता आंदोलन को एक राष्ट्रव्यापी प्रयास बनाने में हमारी भाषाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने क्षेत्रों और गांवों की भाषाओं को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं न केवल संचार का माध्यम बल्कि प्रौद्योगिकी, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की आधारशिला बनें। डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, कृत्रिम मेधा और मशीन लर्निंग के इस युग में, सरकार भारतीय भाषाओं को भविष्य के लिए सक्षम, प्रासंगिक और भारत को वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाने की प्रेरक शक्ति के रूप में विकसित कर रही है।
Advertisement
Tags :
Amit ShahDainik Tribune Hindi NewsDainik Tribune newshindi diwasHindi Diwas 2025Hindi Newslatest newsदैनिक ट्रिब्यून न्यूजहिंदी समाचार
Show comments