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Himachal: विधानसभा में "आपदा" पर हंगामा, सत्र स्थगित करने की मांग पर सत्तापक्ष और विपक्ष में तकरार

Himachal Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वीरवार को प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण पैदा हुई परिस्थितियों को देखते हुए मानसून सत्र को स्थगित करने और सरकार से सभी सदस्यों को अपने-अपने क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्य के...
विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने अन्य भाजपा विधायकों के साथ शिमला में विधानसभा के बाहर मानसून सत्र के दौरान नारेबाजी की। ललित कुमार
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Himachal Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वीरवार को प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण पैदा हुई परिस्थितियों को देखते हुए मानसून सत्र को स्थगित करने और सरकार से सभी सदस्यों को अपने-अपने क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्य के लिए भेजने की मांग पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार तकरार हुई। तकरार इतनी बढ़ी कि दोनों पक्षों की ओर से नारेबाजी होने लगी, जिससे सदन में भारी शोरगुल हो गया और इसे देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। बाद में सदन की कार्यवाही पुनः आरंभ होने पर प्रश्नकाल शुरू हुआ और अन्य कामकाज सुचारू रूप से चला।

वीरवार को सदन कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक डॉ. हंसराज, डॉ. जनक राज और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश में 24 से 26 अगस्त तक आई प्राकृतिक आपदा का मुद्दा उठाया और कहा कि सरकार इस आपदा के बावजूद राहत व बचाव कार्य के लिए संवेदनशील नहीं है। उनका कहना था कि इस बात का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू प्रदेश को आपदा में छोड़कर एक राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बिहार चले गए हैं। इस पर सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष पर आपदा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया, जिस पर सदन में दोनों पक्षों के बीच जोरदार हंगामा हुआ।

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नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि जब राज्य में स्थितियां इतनी नाजुक हैं तो मुख्यमंत्री को एक राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बिहार नहीं जाना चाहिए था, बल्कि प्रदेश में रहकर राहत व बचाव कार्यों का संचालन करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मानसून की शुरूआत में मंडी जिला आपदा से सबसे अधिक प्रभावित था, लेकिन मानसून जैसे-जैसे आगे बढ़ा तो नुकसान पूरे प्रदेश में हो रहा है।

उन्होंने कहा कि आज चंबा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिला सबसे अधिक प्रभावित है। उन्होंने कहा कि मणिमहेश यात्रा में हजारों लोग फंस गए हैं और उन्हें भोजन का संकट पैदा हो गया है। यही स्थिति कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिले में भी है, लेकिन सरकार ने अभी तक भी केंद्र से हेलीकॉप्टर तक की मांग नहीं की है। उन्होंने कहा कि अब तक लोगों को निकालने और उन्हें राशन पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं आरंभ हो जानी चाहिए थी।

विधायक डॉ. हंस राज ने कहा कि आपदा से चंबा, कुल्लू और लाहौल-स्पीति जिलों में स्थिति अत्यधिक गंभीर है। उन्होंने कहा कि विधायक व्यक्तिगत रूप से अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों की मदद करना चाहते हैं और इसके लिए सरकार उन्हें तुरंत हेलीकॉप्टर उपलब्ध करवाए। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्र पांगी, भरमौर और चुराह में अभी भी मोबाइल नेटवर्क बंद है, जिस कारण वह बीते 3-4 दिनों से अपने परिजनों से भी बात नहीं कर पा रहे हैं।

भरमौर के विधायक डॉ. जनक राज ने कहा कि भरमौर क्षेत्र का बीते 72 घंटे से संपर्क टूटा हुआ है। उन्होंने कहा कि खड़ामुख से चंबा मार्ग की स्थिति अत्यधिक खराब है और इसमें हजारों वाहन फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब राज्य में प्राकृतिक आपदा से इतनी अधिक तबाही हुई है तो सरकार को गंभीर होना चाहिए था। डलहौजी के विधायक डीएस ठाकुर ने भी अपने क्षेत्र का जिक्र किया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने उम्मीद जताई कि सरकार सदस्यों द्वारा जताई गई चिंता का समाधान करेगी।

आपदा को राजनीतिक रंग न दे विपक्षः उप मुख्यमंत्री

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष के आरोपों को गलत बताया और कहा कि ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि सरकार कुछ नहीं कर रही है। उन्होंने साफ किया कि सरकार भी उतनी ही चिंतित है, जितना विपक्ष, लेकिन इस मामले के जबरन राजनीतिक रंग देने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि पूरी सरकार राहत व पुनर्वास कार्यों में दिनरात जुटी हुई है। उन्होंने माना कि चंबा जिला प्राकृतिक आपदा से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव उपायुक्तों से लगातार संपर्क में है और स्थिति पर नजर रख रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चंबा जिला मुख्यालय तक पठानकोट की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग को यातायात के लिए बहाल कर दिया गया है।

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