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तीन माह में फैसला सुनाएं हाईकोर्ट : सुप्रीम कोर्ट

हाईकोर्ट के जजों द्वारा अक्सर महीनों तक फैसले सुरक्षित रखने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए फैसला सुनाने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है। अगर इस समय सीमा के बाद दो हफ्ते...
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हाईकोर्ट के जजों द्वारा अक्सर महीनों तक फैसले सुरक्षित रखने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए फैसला सुनाने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है। अगर इस समय सीमा के बाद दो हफ्ते के भीतर फैसला नहीं सुनाया जाता है तो मामला किसी अन्य न्यायाधीश को सौंप दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को बेहद चौंकाने वाला करार देते हुए कहा कि देरी से न्याय का उद्देश्य विफल हो जाता है। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज्यादातर हाईकोर्ट में वादियों के लिए फैसला सुनाए जाने में देरी की सूचना देने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह आदेश रवींद्र प्रताप शाही नामक व्यक्ति द्वारा दायर अपीलों पर आया, जिसमें 2008 से लंबित एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित कुछ आदेशों को चुनौती दी गई थी।

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