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पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के आरोप पर HHRC ने DGP व स्वास्थ्य महानिदेशक से मांगी रिपोर्ट

Police Custody Torture: हरियाणा मानव अधिकार आयोग (HHRC) ने पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के एक गंभीर मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हरियाणा पुलिस महानिदेशक (DGP) और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक से विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने...

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Police Custody Torture: हरियाणा मानव अधिकार आयोग (HHRC) ने पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के एक गंभीर मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हरियाणा पुलिस महानिदेशक (DGP) और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक से विस्तृत जांच रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने निर्देश दिया है कि इस मामले की गहराई से जांच कर 17 दिसंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

यह निर्देश आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने शिकायत संख्या 1037/10/2023 के अंतर्गत जारी किए। इस दौरान शिकायतकर्ता के पिता धर्म सिंह और सब-इंस्पेक्टर कृष्ण चंद (सीआईए-।।, करनाल) आयोग के समक्ष उपस्थित हुए। मामला एफआईआर संख्या 64 दिनांक 11 मार्च, 2023 से जुड़ा है। निसिंग पुलिस स्टेशन में भादंसं की धारा-379 और विद्युत अधिनियम की धारा-136 के तहत केस दर्ज किया गया था।

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इस प्रकरण की जांच सब-इंस्पेक्टर कृष्ण चंद द्वारा की गई थी। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता लवदीप को 14 अप्रैल, 2023 को गिरफ्तार किया गया था और उसी दिन उसका चिकित्सकीय परीक्षण भी करवाया गया था। हालांकि आयोग के समक्ष प्रस्तुत चिकित्सकीय रिपोर्ट अस्पष्ट थी और पढ़ने योग्य नहीं थी। दस्तावेज़ों से यह प्रतीत हुआ कि उस रिपोर्ट में किसी नई चोट का उल्लेख नहीं किया गया था।

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चोटों की रिपोर्ट में विरोधाभास पर सवाल

आयोग ने पाया कि 15 अप्रैल, 2023 को किए गए एमएलआर (मेडिकल लीगल रिपोर्ट) में कई चोटों का उल्लेख किया गया है, जिनकी अवधि 4 से 7 दिन पुरानी बताई गई। आयोग ने इस विरोधाभास पर प्रश्न उठाया कि जब 14 अप्रैल की रिपोर्ट में कोई चोट नहीं थी, तो फिर 15 अप्रैल की रिपोर्ट में पुरानी चोटें कैसे दर्ज हो गईं। इस प्रश्न पर जांच अधिकारी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।

‘सतही परीक्षण’ पर आयोग की नाराज़गी

आयोग के समक्ष सब-इंस्पेक्टर कृष्ण चंद और निरीक्षक दिनेश कुमार (महानिदेशक जांच, आयोग) ने बताया कि पुलिस हिरासत में आमतौर पर डॉक्टर केवल उन्हीं चोटों का उल्लेख करते हैं जिनकी शिकायत आरोपी स्वयं करता है, और शरीर का संपूर्ण परीक्षण नहीं किया जाता। इस पर आयोग सदस्य दीप भाटिया ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि यह दृष्टिकोण अत्यंत चिंताजनक है। हिरासत में प्रताड़ना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और ऐसे मामलों में लापरवाही अस्वीकार्य है।

वरिष्ठ अधिकारी से जांच के आदेश

मानवाधिकार आयोग ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि वे किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को इस मामले की गहन जांच के लिए नामित करें। उन्हें यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता के साथ हुई कथित हिरासत प्रताड़ना तथा पुलिस की कार्यप्रणाली की पूरी समीक्षा कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। साथ ही, स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा के महानिदेशक को भी आदेश दिए हैं कि 14 अप्रैल और 15 अप्रैल, 2023 के दोनों चिकित्सकीय परीक्षणों की जांच कर अपनी रिपोर्ट 17 दिसंबर से पहले आयोग में प्रस्तुत करें।

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