Helicopter Accident in Kedarnath : एएआईबी की चेतावनियां अनसुनी, उत्तराखंड की उड़ानें जोखिम में
देहरादून, 17 जून (भाषा)
उत्तराखंड में केदारनाथ के पास रविवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि विमानन नियामक अधिकारियों ने चुनौतीपूर्ण केदार घाटी में पूर्व में हुए इसी प्रकार की हवाई दुर्घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया। क्षेत्र में उड़ान की स्थितियों को बेहतर करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया गया। गौरीकुंड के जंगलों में रविवार को हुए हादसे के दौरान आर्यन एवियेशन के हेलीकॉप्टर में श्रद्धालुओं और पायलट समेत 7 लोग सवार थे। सभी की मौके पर ही मौत हो गई थी।
इससे पहले, अक्टूबर 2022 में भी इसी कंपनी का एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ धाम के पास हादसे का शिकार हुआ था और उसमें भी इतने ही लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने इस हादसे की जांच की थी और 2023 में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) को ऐसी दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए अपनी सिफारिशें दी थीं। एएआईबी द्वारा यूकाडा को अपनी सिफारिशें सौंपे दो साल बीत चुके हैं, लेकिन खतरनाक माने जाने वाले चार धाम क्षेत्र में हवाई दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए इसकी सिफारिशों को लागू करने हेतु अभी तक बहुत कम काम किया गया है जबकि इस क्षेत्र में पायलटों को मौसम और भू-भाग संबंधी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
अक्टूबर 2022 में और दो दिन पहले हुए हादसे की परिस्थितियों में काफी समानता है। ढाई साल पहले के हादसे में हेलीकॉप्टर हेलीपैड से लगभग 1.2 किलोमीटर दूर पहाड़ी से टकराया और ढलान से नीचे गिरकर टुकड़ों में बिखर गया। वह हेलीकॉप्टर भी बेल 407 था, हादसे के समय केदारनाथ से गुप्तकाशी लौट रहा था। उसमें सवार सभी सात यात्रियों की मौत हो गई थी। एएआईबी ने दुर्घटना के एक साल बाद नवंबर 2023 में यूकाडा को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि हादसा सुरक्षित उड़ान भरने व उड़ान के लिए मौसम की बिगड़ती स्थिति का सही तरीके से आकलन करने में चालक दल की ओर से लिए गए निर्णय में त्रुटि की वजह से हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, तेजी से नीचे आते बादलों ने आगे बढ़ने का रास्ता बंद कर दिया जो उससे पहले गए हेलीकॉप्टर के लिए उपलब्ध रहा होगा और वीटी-आरपीएन (दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर) अस्पष्ट दृश्यता के कारण पहाड़ी से टकरा गया।
एएआईबी द्वारा की गई सुरक्षा सिफारिशों में केदारनाथ में प्रशिक्षित मौसम विशेषज्ञ की मौजूदगी के साथ एक विमानन मौसम स्टेशन की स्थापना भी शामिल था जो केदारनाथ में उड़ान भर रहे सभी संचालकों को मौसम संबंधी बिल्कुल सटीक जानकारी उपलब्ध करा सके। रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया कि केदारनाथ में ऐसी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए यूकाडा भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) से संपर्क कर सकता है। एएआईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि केदारघाटी में हेलीकॉप्टर संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार, चालक दल को घाटी में मौसम पर लगातार निगाह रखनी जरूरी है। इस बारे में कोई भी संदेह होने पर उसे वापस आने और हेलीपैड पर इंतजार करने की सलाह दी गई है।
एसओपी के अनुसार, खराब मौसम का सामना करने वाले पहले पायलट को खराब मौसम के कारण वापस लौटने के अपने निर्णय के बारे में रेडियो टेलीफोन पर सूचना देनी होगी। यह उस समय उड़ान भर रहे सभी हेलीकॉप्टरों पर बाध्यकारी होगी। एसओपी में कहा गया है कि उड़ान शुरू करने से पहले हेलीकॉप्टर संचालकों और चालक दलों को देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र से मौसम की जानकारी लेना जरूरी है। हालांकि, देहरादून और केदारघाटी के मौसम में काफी अंतर है। एसओपी में और भी ऐसी प्रक्रियाएं हैं जिनमें पायलट के लिए मौसम पर लगातार निगाह रखना व उड़ान शुरू करने से पहले क्षेत्र की वास्तविक मौसमी दशाओं और हेलीपैड का आंकलन सुनिश्चित करना जरूरी है।