भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता धर्मेंद्र का सोमवार को 89 साल की उम्र में निधन हो गया। पिछले कुछ वक्त से वह बीमार थे और मुंबई के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। परिवार ने इस महीने की शुरुआत में घर पर ही उनका इलाज जारी रखने का निर्णय लिया था। मुंबई के विले पार्ले उपनगर स्थित पवन हंस श्मशान घाट में उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। आगामी आठ दिसंबर को वह 90 वर्ष के होने वाले थे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने धर्मेंद्र के निधन पर दुख जताया और कहा कि उनके जाने से एक युग का अंत हो गया है, उनकी विरासत कलाकारों की युवा पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करती रहेगी। अक्षय कुमार, अजय देवगन और करण जौहर समेत कई फिल्मी हस्तियों ने धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि दी और उन्हें भारतीय सिनेमा का एक सच्चा दिग्गज, पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और असली ही-मैन कहकर याद किया। चैंपियन बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह समेत खेल जगत ने उनकी गर्मजोशी को याद करते हुए कहा कि उनके जैसे इंसान का प्रशंसक न होना संभव ही नहीं है।
धर्मेंद्र का फिल्मी करियर 65 वर्षों का रहा। एक तरफ वह अपने शक्तिशाली मुक्कों से फिल्मी खलनायकों को धूल चटाते नजर आते थे, गंभीर किरदारों से दर्शकों को भावुक कर देते थे, हल्की सी मुस्कान से लोगों का दिल जीत लेते थे, तो दूसरी तरफ हास्य भूमिकाओं से दर्शकों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देते थे। वह एक ऐसे अनोखे अभिनेता थे, जिन्होंने लगातार कई तरह की भूमिकाएं अदा कीं। मर्दानगी, भावुकता और करिश्मा... और इन सब गुणों के साथ सबसे खूबसूरत अदाकारों में गिने जाने वाले धर्मेंद्र ने गंभीर फिल्म ‘सत्यकाम’ से लेकर रोमांटिक फिल्म ‘बहारें फिर भी आएंगी’ तक, और फिर एक्शन से सजी ‘शोले’ से लेकर गुदगुदाती ‘चुपके चुपके’ तक सभी तरह की फिल्मों में काम किया। साल 2023 में करण जौहर की ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में वह शबाना आज़मी के साथ रोमांस करते नजर आए। इस दौर में उनकी चाल धीमी हो गई थी, शरीर से उम्र झलक रही थी, लेकिन आंखों की चमक और प्यारी सी मुस्कान जस की तस थी। उन्होंने हिंदी फिल्म जगत को दशकों तक ‘श्वेत-श्याम’ से रंगीन तक और अब डिजिटल युग तक बदलते देखा तथा हर दौर में अपनी प्रासंगिकता कायम रखी। पल पल दिल के पास, मैं जट यमला पगला दीवाना, ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, किसी शायर की गजल... जैसे उन पर फिल्माये अनगिनत गीत अमर हो गये हैं।
तीन सौ से अधिक फिल्मों में काम कर चुके धर्मेंद्र को अक्सर ‘ग्रीक गॉड’ कहा जाता था। सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले धर्मेंद्र अक्सर लोनावला में अपने खेत की तस्वीरें और अपनी लिखी उर्दू की पंक्तियां भी साझा करते थे। पंजाब के लुधियाना जिले के नसरली गांव में 8 दिसंबर, 1935 को किसान परिवार में एक आदर्शवादी स्कूल टीचर के घर जन्मे धर्मेंद्र अक्सर दिलीप कुमार की फिल्में देखते थे। धीरे-धीरे, एक सपना पैदा हुआ कि अपने पसंदीदा अभिनेता की तरह पोस्टरों पर अपना नाम देखें।
धर्मेंद्र की शादी प्रकाश कौर से हुई थी, जिससे उनके चार बच्चे हैं। इनमें दो बेटे अभिनेता बॉबी और सनी देओल तथा दो बेटियां विजेता और अजीता हैं। साल 1980 में, उन्होंने मशहूर अभिनेत्री ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी से शादी कर ली और उनकी दो बेटियां- ईशा और अहाना देओल हैं।
पद्म भूषण से सम्मानित अभिनेता ने राजनीति में भी किस्मत आजमाई और 2004 में भाजपा के टिकट पर बीकानेर से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। उनकी आखिरी फिल्म ‘इक्कीस’ अगले महीने रिलीज होनी है। फिल्म निर्माताओं ने सोमवार को ही फिल्म का पोस्टर जारी किया, जिसमें धर्मेंद्र दिखाई दे रहे हैं। धर्मेंद्र दुनिया से तो रुख्सत हो गए, लेकिन अपने अनगिनत प्रशंसकों के दिल और उनकी यादों में वह हमेशा जिंदा रहेंगे।
साहनेवाल में पसरा सन्नाटा
साहनेवाल (लवलीन बैंस) : साहनेवाल की गलियां हमेशा अपने प्यारे बेटे को याद करेंगी। जाने-माने एक्टर धर्मेंद्र के जाने से उस शहर में सन्नाटा छा गया है जहां उनके बचपन के सपनों ने पहली बार जड़ें जमाई थीं। साहनेवाल के लिए, यह सिर्फ एक सिनेमाई आइकन का जाना नहीं है, बल्कि एक ऐसे लड़के का जाना है जो उस मिट्टी को छोड़े बिना स्टारडम तक पहुंचा जिसने उसे पाला-पोसा। उसकी कमी अब उन गलियों और घरों में गूंजती है जहां वह कभी चलता था, और ऐसी यादें छोड़ गया है जिन्हें पीढ़ियों तक संजोकर रखा जाएगा।
जैसे ही उनके निधन की खबर फैली, शहर में शोक की लहर दौड़ गई। सीनियर सिटिजंस एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी और एक्टर के करीबी सहयोगी, संपूर्ण सिंह सनम ने कहा, ‘धरती के सच्चे सपूत, धर्मेंद्र की जड़ें यहां गहराई से जुड़ी हुई थीं। 1950 के दशक में मुंबई शिफ्ट होने के बाद भी, उन्होंने कभी संपर्क नहीं खोया। साहनेवाल के लिए उनका प्यार और सम्मान उनकी आखिरी सांस तक अटूट रहा।’ धर्मेंद्र के पुराने दोस्त संत राम, जो अब कनाडा में बसे हैं, के भतीजे गौरव कैले ने एक्टर की विनम्रता के बारे में बताया। ‘मेरे चाचा अक्सर याद करते थे कि कैसे धर्मेंद्र ने कभी शोहरत को अपने सिर पर हावी नहीं होने दिया।
नंगल से भावुक रिश्ता
रोपड़ (ललित मोहन) : धर्मेंद्र का नंगल से गहरा और प्यार भरा रिश्ता था। हिमाचल प्रदेश के पास के देहलां गांव में उनके पुरखों की जड़ों की वजह से यह जगह उनके घर जैसा ही महसूस होती थी। यह रिश्ता 1970 में सिनेमा में दिखा, जब उन्होंने अपनी यादगार फ़िल्म ‘झील के उस पार’ की शूटिंग के लिए नंगल डैम झील और सतलुज सदन जैसी शांत जगहों को चुना। फ़िल्म में, धर्मेंद्र ने एक जोशीले पेंटर का रोल किया था, और कई खास सीन, जिसमें एक सीन जिसमें उन्होंने एक्ट्रेस मुमताज़ का स्केच बनाया था, बीबीएमबी के सतलुज सदन रेस्ट हाउस के पास शांत, झिलमिलाती झील के किनारे शूट किए गए थे। ऐसे समय में जब एंटरटेनमेंट के साधन कम थे और टेलीविज़न अभी ज़्यादातर घरों में नहीं आया था, फ़िल्म स्टार्स की मौजूदगी ने ज़बरदस्त उत्साह पैदा किया। हज़ारों की संख्या में भीड़ जमा हो गई, जिससे लेकफ़्रंट और सतलुज सदन एक फ़ेस्टिवल हब में बदल गया क्योंकि लोकल लोग शूटिंग देखने के लिए जमा हुए थे। रिटायर्ड बीबीएमबी इंजीनियर चरण दास परदेसी को अच्छी तरह याद है कि जब भी फ़्री होते थे, वे सेट पर भागते थे, यहां तक कि सिर्फ़ फ़िल्मिंग देखने के लिए ड्यूटी से छुट्टी भी ले लेते थे।

