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हार्ट लैंप : बानू मुश्ताक ने बुकर जीतकर रचा इतिहास

पहली बार किसी कन्नड़ कृति और लघु कथा संग्रह को मिला यह सम्मान
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बानू मुश्ताक, दीपा भास्ती। -प्रेट्र
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लंदन, 21 मई (एजेंसी)

लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक ने ‘हार्ट लैंप’ के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतकर इतिहास रच दिया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाली यह पहली कन्नड़ कृति और पहला लघु कथा संग्रह है। मुश्ताक ने मंगलवार रात लंदन के ‘टेट मॉडर्न’ में आयोजित एक समारोह में अपनी इस रचना की अनुवादक दीपा भास्ती के साथ पुरस्कार प्राप्त किया। मुश्ताक ने इसे विविधता की जीत बताया है। भास्ती ने कहा कि यह खूबसूरत भाषा के लिए खूबसूरत जीत है।

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हार्ट लैंप में 77 वर्षीय मुश्ताक की 1990 से लेकर 2023 तक लिखी 12 कहानियां हैं। यह संग्रह, दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदायों में महिलाओं और लड़कियों के रोजमर्रा के जीवन का वृत्तांत प्रस्तुत करता है। पुरस्कृत कृति को 50 हजार पाउंड की राशि दी जाती है। वर्ष 2022 के बाद यह दूसरा मौका है, जब किसी भारतीय को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है।

‘कोई भी कहानी छोटी नहीं होती’

बानू मुश्ताक ने कहा, ‘यह पुस्तक इस विश्वास से पैदा हुई है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती और मानवीय अनुभव के ताने-बाने में बुना गया हर धागा पूरी कहानी का भार उठाता है। ऐसी दुनिया में जो अक्सर हमें विभाजित करने की कोशिश करती है, साहित्य उन खोई हुई पवित्र जगहों में से एक है, जहां हम एक-दूसरे के मन में रह सकते हैं।’

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