नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सप्ताह के अंत तक केंद्र को अपना रुख स्पष्ट करने का बुधवार को निर्देश दिया। कोर्ट की पीठ ने कहा कि वह मामले पर अंतिम सुनवाई 5 मई से शुरू करेगी और अब सुनवाई स्थगित करने की किसी अपील पर गौर नहीं करेगी। पीठ ने कहा, ‘केंद्र हलफनामे के जरिये मंगलवार तक जवाब दाखिल करे। 5 मई को, बिना किसी स्थगन के मामले को अंतिम सुनवाई के लिए, सूचीबद्ध किया जाए।’ शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल मामले में याचिकाकर्ता की ओर से दलीलें पेश करेंगे। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि पीयूसीएल द्वारा दायर याचिका को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। पीठ ने कहा, ‘आप मामले का निपटारा चाहते हैं या सभी याचिकाओं को सूचीबद्ध कराना चाहते हैं? अगर आप विलंब कराना चाहते हैं तो यह आपकी मर्जी है।’
औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून के व्यापक दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में केंद्र सरकार से पूछा था कि वह उस प्रावधान को क्यों निरस्त नहीं कर रही है जिसका इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से महात्मा गांधी जैसे लोगों की आवाज को दबाने के लिए किया था।