Haryana Rain: बेरी के 40 गांवों में डूबी 9 हजार एकड़ फसल, पूर्व स्पीकर कादयान ने बयां किया किसानों का दर्द
Haryana Rain: मानूसन आने के बाद से ही मौजूदा समय तक कभी तेज और कभी रूक-रूक कर प्रदेशभर में हो रही बरसात की विनाशलीला किसी से छिपी हुई नहीं है। जिस तरह से बरसात ने कई दिनों से हरियाणा में तबाही मचाई है उसके बाद से आमजन और खासकर किसान बुरी तरह से भयभीत है और रह-रह कर उनके मुंह से एक ही बात निकल रही है कि कहीं पंजाब जैसे हालात इस बार हरियाणा में तो नहीं हो जाएंगे।
शासन और प्रशासन संभावित बाढ़ से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम होने की बात कह रहा है वहीं मौसम विभाग का कभी रैड तो कभी आरेंज अलर्ट टकटकी लगाकर किसानों और आमजन को आसमान की तरफ देखने को मजबूर कर रहा है। बात करे झज्जर जिले की तो वैसे तो जिलाभर में ही मानसूनी बरसात ने अपना कहर बरपा रखा है,लेकिन जिले के हलका बेरी के गांवों में किसानों की खड़ी फसल में तबाही का मंजर साफ देखने को मिल रहा है।
हाल हीं में सम्पन्न हुए विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व स्पीकर और बेरी हलके के सात बार के विधायक डा. रघुबीर कादयान ने अपने विस क्षेत्र में किसानों की बरसात से तबाह हुई फसलों का दर्द बयां किया।
डा. कादयान की माने तो उन्होंने जलभराव की स्थिति का जायजा लेने के लिए अपने करीब 6 दर्ज गांवोें का दौरा किया है और वहां के हालात देखे है। बेरी के करीब 40 गांवों में बरसात की विनाशलीला साफ तौर पर देखी गई है। डा.कादयान का कहना है कि विस सत्र के शुरू होने से पहले तक बेरी विस के 40 गांवों में करीब 9 हजार एकड़ किसानों की फसल बरसाती पानी में पूरी तरह से डूबकर खराब हो चुकी है। हाल ही में उनके विस क्षेत्र के गांव दुल्हेड़ा में भी करीब सौ एकड़ में खड़ी फसल के खराब होने की बात सामने आई है।
उन्होंने कहा कि इस मानसूनी बरसात से तबाही का मंजर साफ तौर पर देखा जा सकता है। किसानों के चेहरे पर मायूसी है और हर कोई किसान सरकार की मदद की आस लगाए बैठा है। पूर्व स्पीकर ने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार ने बर्बाद हुई फसलों का ब्यौरा लेने के लिए पोर्टल खोल दिया है। लेकिन वह यह भी कहते है कि खाली पोर्टल के खोलने से काम नहीं चलेगा। सरकार का फर्ज और कर्तव्य है कि वह इस दुख की घड़ी में किसानों के साथ खड़ी हो और उन्हें उनकी बर्बाद हुई फसल का मुआवजा समय रहते दे।
उन्होंने कहा कि वह यह भी कहते है कि सरकार के हाथ किसान की तरफ मदद के लिए अग्रसर होने चाहिए। लेकिन यदि इसमें कोताही बरती जाती है तो अन्नदाता पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।