मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

हरियाणा पुलिस सीखेगी ‘क्राउड का मन पढ़ना’, शुरू होगा Protest Crowd Management कोर्स

Protest Crowd Management: डीजीपी ओपी सिंह बोले, लाठी अंग्रेजों की भाषा थी, लोकतंत्र की नहीं
Advertisement

Protest Crowd Management: हरियाणा पुलिस अब भीड़ से भिड़ने नहीं, उसे समझने की कला सीखेगी। धरना-प्रदर्शनों और जन आंदोलनों से निपटने के लिए जल्द ही पुलिस कर्मियों के लिए ‘प्रोटेस्ट क्राउड मैनेजमेंट’ पर एक शॉर्ट-टर्म कोर्स शुरू किया जा रहा है। यह कोर्स राज्य के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के निर्देश पर तैयार होगा, ताकि हर पुलिसकर्मी यह समझ सके कि ‘भीड़’ और ‘मॉब’ (उपद्रवी भीड़) में क्या फर्क है और किस तरह एक आक्रोशित भीड़ को शांति से संभाला जा सकता है।

डीजीपी ने स्पष्ट कहा – ‘लाठी-डंडा अंग्रेजों की भाषा थी, लोकतंत्र की नहीं। जनता पर बल प्रयोग नहीं, संवाद और संयम ही पुलिस की असली ताकत है।’ डीजीपी ने शनिवार को सभी जिलों के अधिकारियों और कर्मचारियों को भेजे संदेश में कहा है कि अहिंसक धरना, प्रदर्शन, जुलूस और रोष मार्च लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा हैं। भारत एक बहु-पार्टी लोकतंत्र है।

Advertisement

यहां हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। ऐसे में पुलिस का कर्तव्य है कि वह इन जन-आवाजों को ‘कानून-व्यवस्था का खतरा’ नहीं, लोकतंत्र की अभिव्यक्ति माने। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों को अब वक्त के साथ अपनी सोच और तौर-तरीके बदलने होंगे। आज की भीड़ वही जनता है, जिसकी सुरक्षा और सेवा का हमने वचन लिया है। उन्हें डराने या दबाने से नहीं, समझने से हालात सुधरेंगे।

‘प्रोटेस्ट क्राउड मैनेजमेंट कोर्स’ से आएगा बदलाव

डीजीपी सिंह ने पुलिस अकादमी को निर्देश दिया है कि जल्द ही ‘प्रोटेस्ट क्राउड मैनेजमेंट’ नामक कोर्स तैयार किया जाए। इसमें पुलिस कर्मियों को सिखाया जाएगा कि शांतिपूर्ण भीड़ और उग्र भीड़ में अंतर कैसे पहचाना जाए। मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से भीड़ का व्यवहार कैसे समझें। संवाद, मध्यस्थता और रचनात्मक उपायों से तनाव कैसे कम करें। बल प्रयोग से पहले वैकल्पिक तरीकों का इस्तेमाल कैसे करें। उन्होंने कहा कि यह कोर्स पुलिस की सोच में संवेदनशीलता और आधुनिकता दोनों लाएगा।

‘क्राउड होस्टिंग’ से जुड़े समाज से

डीजीपी ने पुलिस कर्मियों को सुझाव दिया कि वे खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समाजसेवी गतिविधियों के जरिये जनता से जुड़ाव बढ़ाएं। युवा-बहुल भारत में बात-बात पर बल प्रयोग कोई बुद्धिमानी नहीं। हमें युवाओं को सही दिशा दिखाने और उनके साथ संबंध बनाने होंगे। इससे पुलिस को भीड़ के स्वभाव, संरचना और मानसिकता की वास्तविक समझ मिलेगी। उन्होंने इस जुड़ाव की प्रक्रिया को ‘क्राउड होस्टिंग’ नाम दिया। यानी पुलिस सिर्फ कानून लागू करने वाली शक्ति नहीं, बल्कि समाज का मार्गदर्शक चेहरा भी बने।

‘असामाजिक तत्वों से सख्ती, जनता से संवाद’

डीजीपी ने यह भी कहा कि असामाजिक तत्व अक्सर जनता की भावनाओं का दुरुपयोग करते हैं। कभी-कभी इनके तार विदेशी ताकतों से भी जुड़े होते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर उनकी गतिविधियों को बेनकाब करें, ताकि वे दोबारा समाज में भ्रम फैलाने की हिम्मत न करें। लेकिन उन्होंने जोर दिया कि आम जनता से संवाद और विश्वास बनाए रखना ही पुलिस की असली सफलता है।

उसे भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था

डीजीपी ओपी सिंह ने पुलिसकर्मियों से कहा कि लोकतंत्र में शासन जनता का है, जनता के लिए है। हमारे कंधे पर वर्दी है, अहंकार नहीं। हमें विनम्रता और न्याय के साथ काम करना है। बुद्धि और संवाद हमारे सबसे बड़े हथियार हैं। उन्होंने मशहूर शायर हबीब जालिब की पंक्तियां भी उद्धृत कीं - ‘तुमसे पहले जो यहां तख्त-नशीं था, उसे भी अपने खुदा होने पे इतना ही यकीं था।’ डीजीपी का यह नया कदम हरियाणा पुलिस की सोच में बड़ा बदलाव लाने जा रहा है। अब जहां पहले ‘लाठीचार्ज’ खबर बनती थी, वहीं आने वाले समय में ‘संवाद, संयम और समझ’ हरियाणा पुलिस की पहचान बनेगी - कानून-व्यवस्था अब डर से नहीं, विश्वास से चलेगी।

Advertisement
Tags :
Haryana DGPharyana newsHaryana PoliceHindi NewsProtest Crowd Managementप्रोटेस्ट क्राउड मैनेजमेंटहरियाणा डीजीपीहरियाणा पुलिसहरियाणा समाचारहिंदी समाचार
Show comments