Haryana News: हरियाणा में जिला और मंडलीय स्तर पर सतर्कता समितियों की जिम्मेदारियां तय
Haryana News: हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों में जांच और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को और स्पष्ट व कड़ा बनाने के लिए नया आदेश जारी किया है। बुधवार को मुख्य सचिवालय अनुराग रस्तोगी के सतर्कता विभाग से निकले इस आदेश में जिला और उपमंडल सतर्कता समितियों के गठन, उनकी जिम्मेदारियों और मंडलीय सतर्कता ब्यूरो की कार्यप्रणाली को लेकर स्पष्ट गाइड लाइन दी गई है।
गौरतलब है कि 26 मई, 2022 को सरकार ने पहली बार इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और रजिस्ट्रेशन से जुड़ी प्रक्रिया तय की गई थी, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर कई बिंदुओं को लेकर असमंजस बना हुआ था। इसी वजह से अब सरकार ने संशोधित आदेश जारी करके इन बिंदुओं को स्पष्ट कर दिया है।
नए आदेश के अनुसार, जिला उपायुक्त अब भ्रष्टाचार संबंधी रिपोर्ट को मंडलायुक्त को भेजेंगे। मंडलायुक्त को यह सुनिश्चित करना होगा कि रिपोर्ट मिलने के 15 दिनों के भीतर अनुमति दी जाए। अनुमति देने से पहले उपायुक्त और संबंधित विभागाध्यक्ष से परामर्श लिया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए तथा भारत सरकार और राज्य सरकार के समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगी।
ग्रुप-बी, सी और डी कर्मियों पर फोकस
आदेश में विशेष रूप से स्पष्ट किया गया है कि ग्रुप-बी, सी और डी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ यदि भ्रष्टाचार के मामले में रिश्वतखोरी की राशि एक करोड़ रुपये तक है, तो ऐसे मामलों में आईजी, डीआईजी या एसपी स्तर के सतर्कता अधिकारी को ही एफआईआर दर्ज करने या जांच की अनुमति होगी।
अनुमति के बिना नहीं होगी कार्रवाई
सरकार ने यह भी सख्ती से दोहराया है कि कोई भी जांच एजेंसी पूर्व अनुमति लिए बिना न तो जांच शुरू कर सकेगी और न ही एफआईआर दर्ज कर सकेगी। मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से भेजे गए पत्र में सतर्कता विभाग ने यह भी साफ किया है कि पूर्व आदेशों में दिए गए अन्य प्रावधान ज्यों-के-त्यों लागू रहेंगे। यह कदम हरियाणा सरकार की उस नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें प्रशासनिक पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर कड़े नियंत्रण की बात की जा रही है।