Haryana Monsoon Session : वोट चोरी के आरोपों पर बिफरे CM नायब सैनी, कांग्रेस पर उठाए सवाल
Haryana Monsoon Session : हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान चार बैठकें हुईं। उन्होंने बताया कि इस दौरान श्रीगुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष पर प्रस्ताव पारित हुआ। छह विधेयक सर्वसम्मति से पास किए गए।
सत्र समाप्ति के बाद सीएम ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कथित ‘फर्जी वोटिंग’ का मुद्दा उठा रही है, जबकि उनका राजनीतिक इतिहास फर्जीवाड़े और लोकतंत्र की हानि से भरा रहा है। उन्होंने वर्ष 1946 का उदाहरण दिया, जिसमें कांग्रेस के आंतरिक चुनाव में सरदार वल्लभ भाई पटेल को 14 वोट और पंडित जवाहर लाल नेहरू को केवल एक वोट मिलने के बावजूद नेहरू को विजेता घोषित किया गया। मुख्यमंत्री ने इसे ‘असली बूथ कैप्चरिंग’ करार दिया। उन्होंने 2009 के विधानसभा चुनावों का भी जिक्र किया, जिसमें सुखबीर कटारिया से जुड़े बोगस वोटिंग मामले में मतदाता सूची में हेरफेर, फर्जी वोटर आईडी और झूठे दस्तावेजों के इस्तेमाल के आरोप लगे।
इसके चलते 2013 में दो नई एफआईआर दर्ज की गई थीं। कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर लोगों के संवैधानिक अधिकारों को कुचला और चुनावों में धांधली की परंपरा स्थापित की। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में कांग्रेस शासनकाल में बूथ कैप्चरिंग, दबाव, शराब और पैसे बांटकर वोट खरीदना आम था। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष द्वारा ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम पर सवाल उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम इसलिए शुरू करना पड़ा क्योंकि कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश में लिंगानुपात बहुत खराब था। उन्होंने कहा कि 2014 में जब कांग्रेस सत्ता छोड़कर गई, तब लिंगानुपात 871 था और कन्या भ्रूण हत्या का कलंक था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी, 2015 को पानीपत से शुरू किए गए राष्ट्रीय कार्यक्रम के परिणामस्वरूप प्रदेश में लिंगानुपात सुधरकर 910 हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष हर सरकार के फैसले का विरोध करता है। पीएम नरेंद्र मोदी के फैसलों की पूरी दुनिया सराहना कर रही है। 1984 के दंगों से प्रभावित परिवारों को नौकरी देने का निर्णय श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित है और यह राजनीतिक मामला नहीं है। कलेक्टर रेट और शराब ठेकों को लेकर विपक्ष पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष ने कानून व्यवस्था पर चर्चा के दौरान स्थगन प्रस्ताव स्वीकार कर लेने के बावजूद सरकार के जवाब के बाद विरोध में सदन छोड़ दिया।