Haryana: हेडमास्टर की कुर्सी पर जमी धूल, पांच साल से 819 स्कूल ‘गुरुजी’ इंतजार में
RTI में चौंकाने वाला खुलासा, 2021 के बाद नहीं हुई एक भी नियमित पदोन्नति
Haryana School: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षा देने वाले ‘गुरुजी’ खुद अपनी तरक्की की पाठशाला में फंसे हुए हैं। हेडमास्टर बनने का सपना देख रहे सैकड़ों टीचर्स की फाइलें वर्षों से विभाग की अलमारियों में धूल फांक रही हैं। एक RTI के जवाब में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2021 के बाद से राज्य में हाई स्कूल हेडमास्टर के किसी भी शिक्षक को नियमित पदोन्नति नहीं मिली है। कोर्ट के आदेश पर सिर्फ तीन मुख्याध्यापकों को ही प्रमोशन दी गई है।
राज्यभर के हाई स्कूलों में 916 हेडमास्टर पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 819 पद खाली हैं। यानी 90 फीसदी स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं। हिसार जिले में सबसे ज्यादा 89 पद खाली, जींद में 75, सोनीपत में 59, जबकि पंचकूला और नूंह में क्रमशः 6 और 7 पद रिक्त हैं। यह आंकड़े शिक्षा विभाग द्वारा RTI के तहत रोबिन सिंह निवासी सोनीपत को दिए गए जवाब में सामने आए हैं।
उन्होंने विभाग से 15 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी, जिनमें से अधिकांश पर विभाग ने या तो गोलमोल जवाब दिया या जानकारी देने से परहेज किया। RTI के मुताबिक, वर्ष 2021 के बाद हाई स्कूल हेडमास्टर पद पर किसी को भी प्रमोशन नहीं दी गई। विभाग ने साफ किया कि ईएचएचएम की वरिष्ठता सूची अभी भी अपेक्षित है। यानी वरिष्ठता सूची तैयार न होने के कारण DPC (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) की बैठक तक नहीं बुलाई जा सकी।
पांच साल से DPC की बैठक तक नहीं
चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले पांच वर्षों में हेडमास्टर पद के लिए एक भी DPC बैठक नहीं हुई। जब विभाग से पूछा गया कि क्या कोई फाइल इस संबंध में लंबित है और वह किस स्तर पर अटकी हुई है, तो जवाब मिला कि हेडमास्टर पद की पदोन्नति संबंधी कोई फाइल लंबित नहीं है। इस जवाब से साफ है कि विभाग ने इस दिशा में कोई पहल ही नहीं की है।
प्रिंसिपल पद पर तरक्की, हेडमास्टर उपेक्षित
RTI में यह भी सामने आया कि जहां हेडमास्टर पद पर वर्षों से कोई प्रमोशन नहीं हुई, वहीं प्रिंसिपल पद पर प्रमोशन लगातार होती रहीं। विभाग ने वर्ष 2020 से 2025 तक कुल 2,524 शिक्षकों को प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति दी। साल 2021 में ही 740 से ज्यादा शिक्षकों को प्रिंसिपल बनाया गया। 2023 में 665 और 2025 में अब तक 442 शिक्षकों को प्रमोशन दी जा चुकी है। यानी विभाग ने उच्च पदों पर तो तेजी दिखाई, लेकिन हेडमास्टर पद को लेकर पूरी तरह उदासीन रहा।
‘गुरुजी’ बोले, वरिष्ठता खो रही अहमियत
प्रदेश के शिक्षकों में इस रवैये को लेकर भारी नाराजगी है। कई जिलों में शिक्षक संघों का कहना है कि हेडमास्टर की प्रमोशन न होने से न सिर्फ शिक्षकों का मनोबल गिरा है बल्कि स्कूलों में प्रशासनिक व्यवस्था भी चरमरा गई है। एक शिक्षक नेता ने कहा कि हर स्कूल को एक नेतृत्व की जरूरत होती है, लेकिन सरकार ने 800 से ज्यादा स्कूल बिना हेडमास्टर के छोड़ दिए हैं।
शिक्षा के साथ विद्यार्थियों पर भी असर
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बिना हेडमास्टर के स्कूलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। निरीक्षण, शिक्षण योजना और अनुशासन की जिम्मेदारी अस्थायी तौर पर किसी अन्य शिक्षक को सौंप दी जाती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। विभाग का दावा है कि ईएचएचएम वरिष्ठता सूची तैयार होते ही पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन यह सूची कब बनेगी, इस पर कोई समय-सीमा तय नहीं की गई। पांच साल से ‘गुरुजी’ उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक दिन उनकी फाइलों पर भी स्याही चढ़ेगी और वे आखिरकार ‘क्लासरूम से हेडमास्टर रूम’ तक की यात्रा पूरी कर सकेंगे।

