हरियाणा सरकार का गरीब परिवारों के हित में बड़ा फैसला, शहरों में 50 व गांवों में 100 गज के प्लाट पर स्टाम्प ड्यूटी खत्म
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्र में 50 गज और ग्रामीण क्षेत्र में 100 गज तक के रिहायशी प्लॉट की रजिस्ट्री पर अब स्टाम्प ड्यूटी पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। इसका सीधा लाभ प्रदेश के गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को मिलेगा।
सीएम ने कहा कि यह कदम केवल कर-मुक्ति का नहीं बल्कि कालेधन पर चोट और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल और अर्जुन चौटाला के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर कलेक्टर रेट बढ़ाए जाने के कारण भी उन्होंने स्पष्ट किए। कांग्रेस के साथ-साथ पूर्व की इनेलो सरकार के समय हुई कलेक्टर रेट बढ़ोतरी के आंकड़े भी सीएम ने सदन में रखे। कलेक्टर रेट वृद्धि पर विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2004 से 2014 तक कांग्रेस के शासनकाल में औसतन कलेक्टर रेट में 25.11 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। वर्तमान सरकार के 2014-2025 के कार्यकाल में यह वृद्धि केवल 9.69 प्रतिशत रही है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने रजिस्ट्री पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया और संशोधन पूरी तरह डेटा-आधारित व तर्कसंगत तरीके से किया गया। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के कुल 2,46,812 सेगमेंट में से 72.01 प्रतिशत में केवल 10 प्रतिशत वृद्धि की गई है। यह प्रक्रिया बिल्डरों या भू-माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि वास्तविक और न्यायसंगत मूल्य तय करने के लिए अपनाई गई है। विपक्ष को गरीब और जरूरतमंद की आवाज उठानी चाहिए, न कि काला धन कमाने वालों का पक्ष लेना। गौशाला की जमीन की स्टाम्प ड्यूटी 2019 में एक प्रतिशत थी, जिसे 2025 में पूरी तरह माफ कर दिया गया।
अवैध कॉलोनियों पर सख्त रवैया
वहीं दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ने अवैध कॉलोनियों के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया। सिरसा जिले में डीटीपी की रिपोर्ट से असंतुष्ट मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्यभर में पिछले 3 वर्षों में की गई अवैध कॉलोनियों की कार्रवाई की रिपोर्ट जल्द तैयार की जाए। इस संदर्भ में सीएम जल्द ही समीक्षा बैठक भी बुलाएंगे। सैनी ने कहा कि सिर्फ 32 अवैध कॉलोनियों में से 9 ही एफआईआर दर्ज हुई और 6 बाद में रद्द कर दी गईं, जो संतोषजनक नहीं है।