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Haryana: भिवानी की गलियों में गंदगी और पशुओं का कब्जा, मानवाधिकार आयोग का नोटिस

Haryana News: शहरी डेयरियों की समस्या पर सख्ती, सरकार से आठ सप्ताह में मांगी विस्तृत रिपोर्ट

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सांकेतिक फाइल फोटो।
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Haryana News:  भिवानी की तंग गलियों में पसरी गंदगी, खुले में बांधे जा रहे दुधारू पशु और नगर परिषद की लापरवाही अब सीधे हरियाणा मानव अधिकार आयोग के कटघरे में आ गई है। आयोग ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए भिवानी नगर परिषद को कठोर शब्दों में जवाबदेही तय करने को कहा है।

शिकायत में द्वारकान गली, दिनोद गेट पुलिस चौकी के पास सड़कों पर खुलेआम पशु बांधने, जमा गंदगी, दुर्गंध और अव्यवस्थित हालात की शिकायत की गई थी। आयोग ने पाया कि लगातार शिकायतों के बावजूद नगरपालिका ने न रोकथाम की, न सफाई, और ना ही स्थिति सुधारने की कोशिश, जो स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य, सुगमता और गरिमा से जुड़े अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

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आयोग के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) ललित बत्रा ने कहा कि सार्वजनिक मार्गों पर पशु बांधना न सिर्फ गंदगी और सीवेज अवरोध पैदा करता है, बल्कि लोगों विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए गंभीर खतरा भी है। यह स्थिति मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 25, तथा अनुच्छेद 12 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ और स्वस्थ जीवन-परिवेश का अधिकार देता है।

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जस्टिस बत्रा के अनुसार, नगर परिषद की यह ढिलाई संविधान के अनुच्छेद 21 का भी हनन है, जिसमें गरिमा व स्वच्छ पर्यावरण सहित जीवन के अधिकार की गारंटी दी गई है। साथ ही, यह मामला मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 2(ड) के तहत भी मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आता है।

पूरे प्रदेश में समस्या, ब्लूप्रिंट लागू नहीं

आयोग ने इस मुद्दे को केवल भिवानी तक सीमित नहीं माना, बल्कि टिप्पणी की कि शहरी इलाकों में डेयरी संचालन पूरे हरियाणा में एक गंभीर समस्या का रूप ले चुका है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में पशु बांधने से न सिर्फ प्रदूषण बढ़ता है बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ता है। हरियाणा सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए नगर सीमाओं से बाहर डेयरियों के स्थानांतरण का एक विस्तृत ब्लूप्रिंट तैयार किया है, लेकिन इसे अभी अंतिम रूप से लागू नहीं किया गया है। आयोग ने इसकी तत्काल और प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया।

आठ सप्ताह में रिपोर्ट तलब

आयोग के प्रोटोकॉल एवं सूचना अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जस्टिस बत्रा ने नगर परिषद, भिवानी के आयुक्त को आठ सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। रिपोर्ट में स्पष्ट करना होगा कि अवरोध व गंदगी हटाने के लिए क्या उठाए कदम। जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचाव के लिए प्रस्तावित निवारक उपाय क्या हैं।

साथ ही, आयोग ने नगर स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त-सचिव और निदेशक, नगर स्थानीय निकाय, पंचकूला को भी निर्देशित किया है कि वे 27 जनवरी 2026 से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में बताना होगा कि शहरी डेयरियों से पैदा होने वाली गंदगी और स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं और आगे क्या रणनीति है।

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