11 साल बाद हरियाणा कांग्रेस को मिले जिलाध्यक्ष, हुड्डा का दबदबा
हरियाणा कांग्रेस का 11 वर्षों से लंबित संगठनात्मक ढांचा आखिरकार बन गया। पार्टी हाईकमान ने मंगलवार देर रात 32 जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी, जिसमें गुटबाजी का संतुलन साधने के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मजबूत पकड़ भी साफ दिखाई देती है। इस लिस्ट के जरिए राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रहे संगठन सृजन कार्यक्रम का हरियाणा अध्याय का पहला पड़ा पूरा हो गया।
सूची जारी करने की घोषणा कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने की। यह फैसला केंद्रीय पर्यवेक्षकों की विस्तृत रिपोर्ट और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ‘अंतिम मुहर’ के बाद आया।
पार्टी ने अंबाला कैंट में परमिन्दर परी, अंबाला सिटी में पवन अग्रवाल व अंबाला ग्रामीण में दुष्यंत चौहान को जिलाध्यक्ष बनाया है। भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्व़ चौ़ बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को भिवानी ग्रामीण तथा प्रदीप गुलिया को भिवानी शहरी का जिलाध्यक्ष बनाया है। चरखी दादरी में सुशील धानक, फरीदाबाद में बलजीत कौशिक, फतेहाबाद में अरविंद शर्मा, गुरुग्राम ग्रामीण में वर्द्धन यादव और शहर में पंकज डावर को प्रधान नियुक्त किया है।
हिसार ग्रामीण में बृजलाल खोहाल, हिसार शहरी में बजरंग दास गर्ग, झज्जर में संजय यादव, जींद में रिषीपाल, कैथल में रामचंद्र गुर्जर, करनाल ग्रामीण में राजेश वैद्य व शहरी में पराग गाबा को जिलाध्यक्ष बनाया है। लाडवा के पूर्व विधायक मेवा सिंह को कुरुक्षेत्र तथा सत्यवीर यादव को महेंद्रगढ़ का प्रधान बनाया है। पार्टी नेतृत्व ने मेवात में सहीदा खान, पलवल में नेत्रपाल अधाना, पंचकूला में संजय चौहान तथा पानीपत ग्रामीण में रमेश मलिक को जिलाध्यक्ष बनाया है।
रेवाड़ी में सुभाष चंद्र चावड़ी को ग्रामीण तथा प्रवीन चौधरी को शहरी जिलाध्यक्ष बनाया है। रोहतक में ग्रामीण जिलाध्यक्ष की कमान बलवान सिंह रंगा तथा शहर में कुलदीप सिंह को सौंपी है। संतोष बेनीवाल को सिरसा की जिलाध्यक्ष बनाया है। इसी तरह से सोनीपत ग्रामीण में संजीव कुमार दहिया व शहर में कमल दीवान पार्टी के जिलाध्यक्ष होंगे। यमुनानगर ग्रामीण में यह जिम्मेदारी नरपाल सिंह तथा शहर में देवेंद्रा सिंह को सौंपी है।
हुड्डा गुट की बढ़त, लेकिन ‘एडजस्टमेंट पॉलिसी’ भी
जिलाध्यक्षों की सूची में सबसे ज्यादा लाभ हुड्डा खेमे को हुआ है, जो लंबे समय से राज्य संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटा था। हालांकि, गुटबाजी के पुराने आरोपों से बचने के लिए हाईकमान ने कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला खेमे को भी हिस्सेदारी दी है। यह ‘एडजस्टमेंट पॉलिसी’ न केवल भीतर के असंतोष को कम करने की कोशिश है, बल्कि 2024 के विधानसभा चुनाव में मिले झटके के बाद पार्टी को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा भी है।
अब नजरें प्रदेशाध्यक्ष और सीएलपी लीडर पर
हरियाणा कांग्रेस में संगठन गठन के साथ अब अगले चरण में प्रदेशाध्यक्ष और कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) नेता का फैसला होना बाकी है। सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय भी जल्दी होगा और संभव है कि दोनों पदों पर गुटों का संतुलन साधा जाए।