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हरियाणा कांग्रेस की अनुशासन कमेटी का गठन, धर्मपाल मलिक बने चेयरमैन; राव नरेंद्र के प्रस्ताव पर हाईकमान की मंजूरी 

नेतृत्व ने साधा संतुलन, गुटबाजी पर नकेल और संगठन में केंद्रीकरण की दिशा में बड़ा कदम

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हरियाणा कांग्रेस में लंबे समय से चल रही गुटबाजी और मंचीय बयानबाजी पर अब ‘अनुशासन की क्लास’ शुरू होने जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के प्रस्ताव पर पार्टी हाईकमान ने हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति के गठन को मंजूरी दे दी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मंगलवार को आधिकारिक आदेश जारी करते हुए कमेटी के सदस्यों की सूची घोषित की।

इसमें पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक को चेयरमैन बनाया गया है। उनके साथ जगाधारी विधायक अकरम खान, पूर्व सांसद कैलाशो सैनी और पूर्व विधायक अनिल धन्तौड़ी को सदस्य बनाया है। इसी तरह एडवोकेट रोहित जैन को कमेटी का सदस्य नियुक्त किया है। यह प्रस्ताव हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजा था।

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उन्होंने संगठन में ‘कंट्रोल रूम मॉडल’ लागू करने की बात कही थी, जिसके तहत अनुशासन, संवाद और कार्रवाई एक केंद्रीकृत ढांचे से होगी। राव के इस प्रस्ताव पर हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने चर्चा के बाद इसे हाईकमान को भेजा। अब मंजूरी मिलते ही यह कमेटी सक्रिय होगी और संगठन में अनुशासन संबंधी मामलों पर निर्णायक भूमिका निभाएगी।

हरियाणा कांग्रेस लंबे समय से तीन प्रमुख ध्रुवों- भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला में बंटी रही है। ऐसे में इस कमेटी का गठन केवल संगठनात्मक नहीं बल्कि राजनीतिक संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राव नरेंद्र सिंह का उद्देश्य है कि पार्टी मंच पर सार्वजनिक बयानबाजी और आपसी आरोप-प्रत्यारोप की संस्कृति पर लगाम लगे।

उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अब कांग्रेस में मंच पर बगावत नहीं चलेगी। आदेश ऊपर से आएंगे और बहस नीचे से नहीं। हाल ही में चरखी दादरी में हुई कार्यकर्ता बैठक में हुए हंगामे ने इस दिशा में तेजी ला दी। बैठक में राव के सामने ही यहां से प्रत्याशी रहीं मनीषा सांगवान के समर्थकों ने विरोध जताया था। इसके बाद सांगवान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। यही घटना अनुशासन कमेटी गठन की ट्रिगर पॉइंट बनी।

धर्मपाल मलिक को कमान

कांग्रेस हाईकमान ने कमेटी के गठन में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा है। चेयरमैन धर्मपाल मलिक पूर्व सांसद और संगठन के अनुभवी नेता माने जाते हैं। सदस्य अकरम खान अल्पसंख्यक वर्ग से हैं, कैलाशो सैनी महिला प्रतिनिधित्व का प्रतीक हैं, जबकि अनिल धन्तौड़ी संगठन के पुराने चेहरे हैं। वहीं एडवोकेट रोहित जैन को सचिव बनाकर कानूनी पक्ष को भी मजबूती दी गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस टीम के गठन से कांग्रेस नेतृत्व ने हरियाणा में किसी एक गुट को तरजीह देने के बजाय संतुलित चेहरों को आगे लाने की रणनीति अपनाई है।

‘डर नहीं, अनुशासन से चलेगी कांग्रेस’

राव नरेंद्र सिंह का यह कदम कांग्रेस में ओपन पॉलिटिक्स की परंपरा पर भी ब्रेक लगाने जैसा माना जा रहा है। उन्होंने संगठन को ‘केंद्रित कमान’ के तहत लाने का स्पष्ट संकेत दिया है। एक वरिष्ठ नेता के शब्दों में- अब पार्टी में फैसले ऊपर तय होंगे और जवाबदेही नीचे तक पहुंचेगी। राव का यह प्रयोग कांग्रेस में नया अनुशासन तो लाएगा ही, साथ में गुटों के लिए एक चेतावनी भी होगा। राव के करीबी इसे संगठनात्मक मजबूती बताते हैं, जबकि विरोधी गुट इसे पावर सेंट्रलाइजेशन कह रहे हैं। लेकिन इतना तय है कि हरियाणा कांग्रेस अब ‘खुले मंच’ से ‘अनुशासित प्लेटफॉर्म’ की ओर बढ़ रही है।

हाईकमान का भरोसा और निगरानी

दिल्ली में बैठे पार्टी हाईकमान की भी हरियाणा पर पैनी नजर है। सूत्रों के अनुसार, आलाकमान इस अनुशासन कमेटी को टेस्ट केस के रूप में देख रहा है। अगर हरियाणा में यह प्रयोग सफल रहता है, तो इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि गुटबाज़ी के दौर में अनुशासन ही एकता का जरिया बन सकता है। इसलिए हरियाणा में यह कमेटी सिर्फ कार्रवाई का औजार नहीं, बल्कि संगठन सुधार का मॉडल साबित हो सकती है।

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