Haryana Cabinet Meeting : हरियाणा कैबिनेट में कई वर्गों के लिए सुधारों की बौछार, छोटे उल्लंघनों पर अब जेल नहीं
Haryana Cabinet Meeting : मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में श्रमिकों, उद्योगों, भूमिधरों और ग्रामीण ढांचे से जुड़ी कई मंजूरियां दी गईं। सरकार ने जहां औद्योगिक और व्यापारिक कानूनों को आधुनिक बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया, वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था और भूमि उपयोग नीति में भी पारदर्शिता और जवाबदेही के नए प्रावधान जोड़े।
कैबिनेट ने ‘कारखाना (संशोधन) अध्यादेश 2025’ और ‘दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश 2025’ को मंजूरी देकर श्रमिक कल्याण और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस को को नई गति दी है। अब हर कर्मचारी को नियुक्ति पत्र और आईडी कार्ड देना अनिवार्य होगा। महिला श्रमिकों को मशीनरी पर काम की अनुमति मिलेगी और ओवरटाइम सीमा बढ़ाकर 144 घंटे प्रति तिमाही कर दी गई है। वहीं, छोटे व्यवसायों के लिए राहत का बड़ा कदम उठाते हुए, मामूली उल्लंघनों पर अब जेल की बजाय आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। बैठक में शामलात भूमि नियमों में संशोधन, भूमि उपयोग अनुमति के लिए स्व-प्रमाणन प्रणाली, राज्यपाल के डीईक्यू कोटे में वृद्धि और विकास परियोजनाओं हेतु स्वैच्छिक भूमि पेशकश नीति में भी बदलाव को स्वीकृति दी गई।
हर कर्मचारी को मिलेगा नियुक्ति पत्र
मीटिंग के बाद सैनी ने कहा कि कारखाना कानून में संशोधन का मकसद श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा, कार्यस्थल पर समान अवसर और औद्योगिक उत्पादकता में सुधार है। अब हर नियोक्ता को अपने सभी कर्मचारियों को नियुक्ति के समय औपचारिक पत्र और परिचय पत्र देना होगा। इससे रोजगार की शर्तों में पारदर्शिता बढ़ेगी और विवादों की गुंजाइश घटेगी। अब महिलाएं भी मशीनरी पर या उसके आसपास काम कर सकेंगी। यदि आवश्यक सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए गए हों। कारखाना अधिनियम की धारा 27 में किया गया संशोधन उस पुराने प्रतिबंध को हटा देता है, जिसमें महिलाओं और बच्चों को कपास की मशीनों के पास काम करने से रोका गया था।
अब बिना रुके छह घंटे काम
कैबिनेट ने दैनिक कार्य अवधि को 9 से बढ़ाकर 10 घंटे किया गया है, जबकि साप्ताहिक सीमा 48 घंटे ही रहेगी। बिना ब्रेक के लगातार काम करने की सीमा 5 से बढ़ाकर 6 घंटे कर दी गई है। इससे उद्योगों को लचीलापन मिलेगा और कर्मचारियों को शिफ्ट के विकल्प। अब श्रमिक प्रति तिमाही 115 घंटे की जगह 144 घंटे तक ओवरटाइम कर सकेंगे। सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन रहेगा और भुगतान सामान्य मजदूरी की दोगुनी दर से किया जाएगा।
छोटे व्यवसायों को बड़ी राहत
कैबिनेट ने 1958 के दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम को पूरी तरह आधुनिक रूप दिया है। अब यह अधिनियम केवल 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों पर लागू होगा। 20 से कम कर्मचारियों वाली इकाइयों को सिर्फ ऑनलाइन सेल्फ-डिक्लेरेशन भरना होगा। सारी प्रक्रियाएं- पंजीकरण, संशोधन और बंद करने की अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से होंगी। इससे हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत समयबद्ध और पारदर्शी निपटान सुनिश्चित होगा। यह भी तय किया है कि छोटे या तकनीकी उल्लंघनों पर अब जेल की सजा के बजाय आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा।
शामलात भूमि नियमों में संशोधन
कैबिनेट ने पंजाब ग्राम शामलात भूमि (विनियमन) नियम, 1964 में व्यापक संशोधन को मंजूरी दी। अब कृषि प्रयोजन के लिए पट्टे पर दी जाने वाली भूमि का 5 प्रतिशत हिस्सा 60 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए आरक्षित रहेगा। गौ-अभयारण्य स्थापित करने हेतु भूमि अब पशुपालन एवं डेयरी विभाग या हरियाणा गौ सेवा आयोग को ₹5100 प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर पर 20 वर्ष के लिए पट्टे पर दी जा सकेगी। साथ ही, ग्राम पंचायतें अब 250 एकड़ तक की भूमि उपयोग योजना स्वयं तैयार कर सकेंगी, जिससे स्थानीय स्तर पर विकास की गति बढ़ेगी।
भूमि उपयोग अनुमतियों में स्व-प्रमाणन प्रणाली
सरकार ने हरियाणा अनुसूचित सड़कें और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास प्रतिबंध अधिनियम, 1963 व उसके 1965 के नियमों में संशोधन को मंजूरी दी है। अब भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की अनुमति ऑनलाइन स्व-प्रमाणन प्रणाली के तहत दी जाएगी। आवेदकों को अब विभागीय दौरों और विलंब से मुक्ति मिलेगी। वे अपने दस्तावेज़ ऑनलाइन अपलोड करेंगे, और सत्यापन के बाद सिस्टम अपने आप अनुमति जारी करेगा। सरकार के अनुसार, यह व्यवस्था निवेशकों का भरोसा बढ़ाने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग सुधारने में मदद करेगी।
राज्यपाल का डीईक्यू कोटा अब 8 करोड़
मंत्रिमंडल ने हरियाणा के राज्यपाल के डिस्क्रेशनरी इक्विटी कोटा (डीईक्यू) की सीमा को 6 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष करने को स्वीकृति दी है। यह बढ़ोतरी 2025-26 से प्रभावी होगी। डीईक्यू के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता का उपयोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को चिकित्सा, शिक्षा और राहत सहायता देने में किया जाता है। सरकार का कहना है कि 2014-15 के बाद यह पहली बढ़ोतरी है और यह निर्णय समाज के कमजोर वर्गों की बढ़ती सहायता मांग को ध्यान में रखकर लिया गया है।
बैठक में 1984 के सिख दंगा पीड़ित परिवारों के लिए रोजगार नीति, ग्रामीण संपत्ति अधिकार अध्यादेश, नई शिक्षक ट्रांसफर पॉलिसी और शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति की छूट जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सीएम ने कहा कि संवेदनशील शासन हमारी नीति की नींव है। हम ऐसे फैसले ले रहे हैं जो जनता के जीवन में प्रत्यक्ष परिवर्तन लाएं। मुख्यमंत्री ने 25 अगस्त को विधानसभा में की 1984 के सिख दंगों में मारे गए हरियाणा मूल के लोगों के परिजनों को रोजगार देने की घोषणा की थी। कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी है।
अब ऐसे परिवारों के एक मौजूदा सदस्य को हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से उनकी योग्यता और पात्रता के आधार पर लेवल-।, लेवल-।। या लेवल-।।। कैटेगरी में नौकरी दी जाएगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन हरियाणा निवासियों की मृत्यु राज्य से बाहर हुई थी, उनके आश्रित भी इस लाभ के पात्र होंगे। यदि किसी विभाग में उपयुक्त पद उपलब्ध नहीं हैं, तो हरियाणा कौशल रोजगार निगम पात्र व्यक्ति को किसी अन्य विभाग या अपने ही संस्थान में समायोजित करेगा।
इस नीति में जोड़ा गया क्लॉज कहता है कि दंगा पीड़ित परिवार परिवार के भीतर सर्वसम्मति से एक सदस्य का चयन करेंगे और उसे 58 वर्ष की आयु तक अनुबंध आधार पर स्थायी रोजगार संरक्षण मिलेगा। इसके लिए सरकार ने 2022 की रोजगार नीति में संशोधन भी किया है। परिवार के किस सदस्य को कौशल रोजगार निगम में नौकरी मिलेगी, इसका निर्णय परिवार सर्वसम्मति से करेगा। रिटायरमेंट उम्र यानी 58 वर्ष तक के लिए रोजगार की सुरक्षा रहेगी।
ग्रामीणों को मिलेगा कानूनी स्वामित्व
कैबिनेट ने ‘हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निपटान, रिकॉर्डिंग और निपटारा) अध्यादेश, 2025’ को मंजूरी दी है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति अधिकारों के कानूनीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इस अध्यादेश के तहत अब ड्रोन सर्वेक्षण से हर गांव की आबादी देह भूमि का सटीक नक्शा तैयार किया जाएगा। वास्तविक कब्जाधारियों की पहचान कर उन्हें कानूनी स्वामित्व प्रमाणपत्र (प्रॉपर्टी आईडी) दिए जाएंगे। ग्रामीण संपत्तियों की खरीद-फरोख्त, कब्जा और उत्तराधिकार जैसी प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा। प्रमाणपत्र मिलने के बाद ग्रामीण बैंक लोन जैसी वित्तीय सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। सरकार का मानना है कि इस कदम से भूमि विवादों में कमी आएगी, संपत्ति का मूल्य बढ़ेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आएगी।
जोन सिस्टम खत्म, मेरिट आधारित तबादले
शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करते हुए कैबिनेट ने शिक्षक स्थानांतरण नीति 2025 को मंजूरी दी है। नई पॉलिसी में अब जोन सिस्टम समाप्त कर दिया गया है, जिससे शिक्षक पूरे राज्य में अपनी पसंद का स्कूल चुन सकेंगे। ट्रांसफर मेरिट आधारित और अधिकतम 80 अंकों के स्कोर पर आधारित होगा। आयु के आधार पर 60 अंक तथा महिला, विधवा, विकलांग, गंभीर रोगी, दंपत्ति आदि विशेष श्रेणियों को अधिकतम 20 अंक मिलेंगे। मुख्य दंड मिलने पर 10 अंक घटेंगे। नूंह, हथीन और मोरनी ब्लॉक में स्वेच्छा से पोस्टिंग लेने वाले शिक्षकों को 10 प्रतिशत अतिरिक्त वेतन व डीए मिलेगा। मेवात कैडर के शिक्षकों को उनके कैडर से बाहर नहीं भेजा जाएगा। दंपत्ति मामलों में अब दूरी की शर्त नहीं, केवल एक साथी को 5 अंक का लाभ मिलेगा।
शहीदों के परिवारों को अनुकंपा नियुक्ति की छूट
मंत्रिमंडल ने हरियाणा मूल के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति में विशेष छूट देने का निर्णय भी लिया है। यह छूट दो मामलों में दी गई है। पहला शहीद सतीश कुमार के परिवार के लिए और दूसरा सिपाही जगदीश के लिए। सतीश कुमार 28 दिसंबर, 2001 को ‘ऑपरेशन पराक्रम’ के दौरान शहीद हुए थे। वहीं सेना के सिपाही जगदीश ने 26 जुलाई, 2000 को जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन रक्षक’ के दौरान शहादत दी थी। दोनों मामलों में उनके पुत्रों समीर और जंगवीर तक्षक को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी मिलेगी।
हम बनाते हैं हर वर्ग के हित की नीति : सैनी
सैनी ने कहा कि सरकार के निर्णय केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि समाजिक संवेदनशीलता का प्रतीक हैं। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राज्य का हर नागरिक, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र में हो, शिक्षक हो या किसी त्रासदी से प्रभावित परिवार, खुद को सरकार से जुड़ा महसूस करे। उन्होंने कहा कि संवेदनशील शासन नीति की असली भावना पर सरकार काम कर रही है।
