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Haryana Assembly : बारिश से फसलों की तबाही ने विधायकों को किया आग-बबूला, विधानसभा में जोरदार अंदाज में उठाए मुद्दे

स्कूलों में शिक्षकों की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की जरूरत
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सांकेतिक फाइल फोटो।
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हरियाणा विधानसभा के तीसरे दिन मंगलवार को शून्यकाल के दौरान विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों की लंबित समस्याओं को जोरदार अंदाज में उठाया। सत्र में जलभराव, किसानों का मुआवजा, कर्मचारियों व शिक्षकों की कमी, स्वास्थ्य और सड़क सुविधाओं में सुधार की मांगें हावी रहीं। भाजपा विधायक रामकुमार गौतम ने कलेक्टर रेट में असमानता और उससे राजस्व नुकसान का मुद्दा उठाया।

कांग्रेस विधायक मोहम्मद इजराइल ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर गंभीर चिंता जताई। कलानौर से कांग्रेस विधायक शंकुलता खटक ने उपमंडल दर्जा वापस लेने और खराब पानी सप्लाई की समस्या उठाई। भाजपा विधायक रामकुमार कश्यप ने पंचायतों में मालिकाना हक देने की पैरवी की। करनाल से भाजपा विधायक जगमोहन आनंद ने स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और मेडिकल सीटों में बढ़ोतरी की मांग की।

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पुन्हाना से कांग्रेस विधायक मोहम्मद इलियास ने बारिश से जलभराव की समस्या बताई। शाहाबाद से कांग्रेस विधायक रामकरण काला ने मारकंडा नदी के जलभराव से प्रभावित गांवों के लिए मुआवजे की मांग की। बावल से भाजपा विधायक डॉ. कृष्ण कुमार ने किसानों के मुआवजे का मुद्दा उठाया। बहादुरगढ़ से निर्दलीय विधायक राजेश जून ने सीवरेज व्यवस्था सुधारने और दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे को बहादुरगढ़ में जोड़ने की मांग की। शीशपाल केहरवाला ने फसलों में जलभराव की समस्या पर ध्यान दिलाया।

असंध से भाजपा विधायक योगेंद्र राणा ने असंध को जिले का दर्जा देने, गांव मुनक में आईआईटी स्थापना, असंध अस्पताल में ट्रामा सेंटर, करनाल–असंध एवं असंध–जींद मार्ग को 4 लेन करने और महिलाओं व युवाओं के लिए स्किल सेंटर खोलने की मांग की। चरखी-दादरी से भाजपा विधायक सुनील सांगवान ने सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाने, पानी निकासी और ड्रेन निर्माण तथा पुराने सचिवालय भवन में कॉलेज शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने बताया कि 2016 में चरखी-दादरी जिला बनने के बाद से शहर में नई कालोनियों की संख्या बढ़ी, लेकिन सफाई कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ी। सत्र में स्पष्ट हुआ कि राज्य के गांव और शहर विकास के कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहे हैं। विधायकों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जनता की समस्याओं को लेकर सत्र में फिर से मुद्दे उठाए जाएंगे।

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