Haryana Alert: बाढ़ से निपटने के लिए हरियाणा में नई रणनीति: विधायकों-प्रत्याशियों को बनाया ‘ग्राउंड रिपोर्टर’
Haryana Alert: हरियाणा में बाढ़ और बारिश से बिगड़े हालात ने सरकार को अलर्ट मोड पर ला दिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए अपना विदेश दौरा रद्द कर दिया और तुरंत नई रणनीति अपनाई। इसके तहत भाजपा ने अपने मंत्रियों, विधायकों और पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों को भी जनता के बीच भेज दिया है। ये सभी अब अपने-अपने हलकों में ‘ग्राउंड रिपोर्टर’ की भूमिका निभाएंगे और सीधे मुख्यमंत्री को फील्ड से रिपोर्ट देंगे।
प्रदेशभर में पहली बार ऐसा हो रहा है कि पार्टी संगठन और सरकार ने मिलकर हर विधानसभा क्षेत्र में नेता को सक्रिय कर दिया है। इससे न केवल जनता की समस्या का त्वरित समाधान होगा बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही भी बढ़ेगी। हरियाणा में बाढ़ और बारिश से पैदा हुए हालात ने सरकार और संगठन दोनों को चुनौती दी है। लेकिन मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जिस तरह हर हलके में नेताओं को उतारा है, उससे स्पष्ट है कि वे बारिश की वजह से हुए नुकसान की भरपाई को लेकर भी तैयारी शुरू कर चुके हैं।
माना जा रहा है कि भाजपा इस संकट को संगठनात्मक मजबूती का अवसर भी बना रही है। जब प्रत्याशी और विधायक जनता के बीच रहेंगे तो उनकी सीधी पकड़ मजबूत होगी। खासकर चुनाव हार चुके प्रत्याशियों के लिए यह मौका है कि वे अपनी सक्रियता और जनसंपर्क से जनता के बीच विश्वास कायम करें। जनता हमेशा याद रखती है कि संकट की घड़ी में कौन उसके साथ खड़ा था।
ऐसे में भाजपा अपने नेताओं को दोहरी भूमिका में उतार रही है। एक तरफ राहत और दूसरी तरफ राजनीतिक जमीन मजबूत करने का प्रयास। प्रदेश के कई जिलों में हालात ज्यादा खराब हैं। गांवों में पानी भर जाने से लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। घरों में पानी घुस गया, पशुओं का चारा खराब हो गया और हजारों एकड़ फसल डूब गई। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि सबसे पहले प्रभावित गांवों में राहत पहुंचाई जाए।
जनता के बीच सीधा संवाद
मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि हर प्रतिनिधि - चाहे वह मंत्री हो, विधायक हो या चुनाव हार चुका प्रत्याशी, अपने-अपने क्षेत्र में जनता के बीच मौजूद रहेंगे। बृहस्पतिवार को कई हलकों में भाजपा प्रत्याशी और विधायक एसडीएम कार्यालयों पर पहुंचे। उन्होंने यहां लोगों की शिकायतें सुनीं और प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर ही दिशा-निर्देश दिए। इसके बाद जलभराव वाले इलाकों का दौरा कर खुद हालात का जायजा लिया। इस कवायद से जनता को यह संदेश देने की कोशिश है कि सरकार केवल फाइलों और बैठकों तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता की पीड़ा को सीधे सुन रही है।
नुकसान की पूरी रिपोर्ट सीधे सीएम तक
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि हर हलके का प्रतिनिधि बाढ़ और बारिश से हुए नुकसान की पूरी जानकारी फील्ड से जुटाए। इसमें फसलें डूबने से लेकर गांवों में जलभराव, सड़कें टूटने, नालों की सफाई, बिजली और पानी की दिक्कत जैसी सभी समस्याएं शामिल होंगी। यह रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी। मुख्यमंत्री कार्यालय में इसके आधार पर समीक्षा की जाएगी और जहां तुरंत कार्रवाई की जरूरत होगी, वहां विभागों को आदेश जारी होंगे। यानी अब कागज़ी रिपोर्ट के बजाय जमीनी हकीकत के आधार पर फैसले होंगे।
अधिकारियों पर रहेगा दबाव
भाजपा नेताओं की फील्ड मौजूदगी से अधिकारियों पर दबाव स्वतः बढ़ेगा। कोई भी अधिकारी हालात को कम करके नहीं दिखा सकेगा। विधायक और प्रत्याशी खुद जनता के बीच जाकर तस्वीर लेकर आएंगे। इस रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री सीधा विभागीय सचिवों और डीसी-एसडीएम से सवाल पूछेंगे। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह मॉडल अधिकारियों को ज्यादा जवाबदेह बनाएगा। आमतौर पर बाढ़ या आपदा में प्रशासन फाइलों पर ही रिपोर्ट आगे बढ़ा देता है, लेकिन इस बार जमीनी स्तर की जानकारी सरकार तक पहुंच रही है।
विदेश दौरा रद्द कर संकट प्रबंधन पर फोकस
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का विदेश दौरा पहले से तय था, लेकिन उन्होंने हालात की गंभीरता को देखते हुए उसे टाल दिया। इसका बड़ा राजनीतिक और प्रशासनिक संदेश है। उन्होंने कहा कि जनता की परेशानी के समय मुख्यमंत्री का प्रदेश में होना जरूरी है। बाढ़ और बारिश से निपटने के लिए पूरा प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व जनता के बीच सक्रिय रहेगा। सरकार की ओर से किसानों को नुकसान की रिपोर्ट देने के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 15 सितंबर तक खोल दिया है।
बड़ौली आज लेंगे बैठक
सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि भाजपा संगठन भी इस समय पूरी तरह सक्रिय है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने 5 सितंबर को रोहतक के मंगल कमल कार्यालय में बैठक बुलाई है। इसमें सभी जिलाध्यक्ष और मोर्चों के पदाधिकारी शामिल होंगे। बैठक का मकसद केवल बाढ़ प्रबंधन की समीक्षा करना ही नहीं होगा, बल्कि यह भी तय किया जाएगा कि संगठन किस तरह से प्रशासन का सहयोग करे और राहत कार्यों में कार्यकर्ताओं को कैसे लगाया जाए।
हारी हुई सीटों पर ‘शेडो विधायक’
भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में हारी हुई 42 सीटों पर खास रणनीति लागू कर रखी है। इन सीटों पर 12 मंत्रियों और 30 विधायकों को ‘शेडो विधायक’ बनाया गया है। इनका काम केवल बाढ़ राहत या जनता की समस्याओं तक सीमित नहीं है। वे विकास कार्यों की समीक्षा और निगरानी करेंगे और जनता के बीच लगातार मौजूद रहकर संगठन को मजबूत करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह शेडो विधायक मॉडल 2029 के विधानसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार करने का भी हिस्सा है। यानी आज की फील्ड एक्टिविटी कल की चुनावी रणनीति को मजबूती देगी।