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Guru Dutt Tribute : एक ख्वाहिश रह गई अधूरी... गुरु दत्त से सीखना चाहते थे जावेद अख्तर, बनना चाहते थए उनके निर्देशक व सहायक

गुरू दत्त के सहायक और निर्देशक बनना चाहते थे जावेद अख्तर
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Guru Dutt Tribute : जाने-माने शायर, गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने खुलासा किया है कि दिवंगत अभिनेता-निर्देशक गुरु दत्त का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव रहा है। यहां तक कि उन्होंने निर्देशक बनने और उनके सहायक के रूप में काम करने का सपना भी संजोया था। गुरु दत्त की जन्मशती के उपलक्ष्य में बुधवार रात यहां आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए 80 वर्षीय अख्तर ने कहा कि उनका यह सपना अधूरा ही रह गया।

अख्तर ने कहा कि मैंने तय किया था कि ग्रेजुएशन के बाद फिल्म इंडस्ट्री जाऊंगा और कुछ वर्षों तक गुरु दत्त साहब के साथ काम करूंगा और फिर निर्देशक बनूंगा। जब आप 18 साल के होते हैं तो सब कुछ सरल लगता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं 4 अक्टूबर, 1964 को बॉम्बे (अब मुंबई) आया। 10 अक्टूबर को गुरु दत्त का निधन हो गया। मैं उनसे कभी मिल ही नहीं सका। मुझे सच में विश्वास था कि जब मैं मुंबई आऊंगा तो किसी भी तरह उनसे जुड़ूंगा, क्योंकि साहिर लुधियानवी साहब गुरु दत्त के अच्छे मित्र थे। उन्होंने ‘प्यासा' के लिए गीत लिखे थे। मुझे लगा था कि यह संबंध काम आएगा। मैंने सोचा था कि कुछ समय के लिए उनका सहायक बनूंगा, लेकिन ऐसा हो न सका।

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‘शोले', ‘दीवार', ‘जंजीर' और ‘डॉन' जैसी फिल्मों की पटकथा सलीम खान के साथ मिलकर लिखने वाले अख्तर ने बताया कि किस प्रकार गुरु दत्त की फिल्मों में दृश्यात्मक अभिव्यक्ति ने उन्हें गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि कॉलेज के दिनों में गुरु दत्त से मैं इतना प्रभावित था कि 17-18 साल की उम्र में मैंने कुछ बड़े सितारों की फिल्में देखना छोड़ दिया था। मुझे लगता था कि वे अच्छे अभिनेता नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि मेरी कुछ पसंद थी। किशोरावस्था में गुरु दत्त का मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा। हमारे पास महबूब खान, बिमल रॉय जैसे महान निर्देशक थे, लेकिन गुरु दत्त पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने दृश्यों के माध्यम से संवाद किया। दूसरे निर्देशक अच्छे अभिनय, लोकेशन और माहौल के साथ फिल्में बना लेते थे, अच्छी पटकथा होती थी। दृश्यात्मक भाषा में बात करना- यह हमें गुरु दत्त ने सिखाया।

उन्होंने कहा कि गुरु दत्त ने सिखाया कि खुद पर तरस खाना भी सुंदर हो सकता है। उन्होंने आत्म-सहानुभूति को एक गुण के रूप में प्रस्तुत किया, और यह भी कि दिल टूटना भी सिनेमा का विषय हो सकता है। निर्देशक आर. बाल्की ने कहा कि उनकी 2022 की फिल्म ‘चुप: रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट' की प्रेरणा गुरु दत्त ही थे। यह फिल्म एक कलाकार की पीड़ा को दर्शाती है, जो गलत आलोचना का शिकार होता है।

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