गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को मिला महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार
प्राकृतिक खेती को देशव्यापी मिशन बनाने वाले हरियाणा मूल के आचार्य देवव्रत को एक और बड़ी जिम्मेदारी मिली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। यह कदम सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उठाया गया है। कुरुक्षेत्र गुरुकुल में लंबे समय तक आचार्य रहे देवव्रत शिक्षा और भारतीय संस्कारों के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रहे हैं। सादगी, संयम और सामाजिक योगदान उनकी पहचान है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने किसानों को रसायन मुक्त खेती के लिए प्रेरित किया। हजारों किसानों ने उनके मार्गदर्शन में जैविक खेती अपनाई। गुजरात के राज्यपाल बनने के बाद भी उन्होंने प्राकृतिक खेती को नई दिशा दी। उनका मानना है कि रसायनों का अत्यधिक प्रयोग मिट्टी, पानी और पर्यावरण के लिए घातक है, जबकि प्राकृतिक खेती लागत घटाकर किसानों को अधिक आमदनी दिला सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ‘मन की बात’ में कई बार उनके प्रयासों की सराहना कर चुके हैं। हालिया केंद्रीय बजट में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष फंड का प्रावधान भी किया गया है। हरियाणा सरकार भी इस दिशा में आचार्य देवव्रत के साथ मिलकर काम कर रही है।
महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार मिलने के साथ ही आचार्य देवव्रत पर केंद्र का भरोसा और बढ़ा है। उनसे संवैधानिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ सामाजिक अभियानों को भी गति देने की उम्मीद है।