GST Reforms 2.0 : सीतारमण बोलीं- जीएसटी सुधारों का लाभ दिन की शुरुआत से रात को सोने जाने तक, सभी उत्पादों पर मिलेगा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक बड़ी जीत है। सीतारमण ने रविवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत के प्रत्येक राज्य के अपने त्योहारों को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दीपावली से पहले जीएसटी सुधारों को लागू करने के निर्देश से बहुत पहले ही इन्हें लागू करने का निर्णय लिया गया है।
चेन्नई सिटीजन्स फोरम द्वारा आयोजित ‘उभरते भारत के लिए कर सुधार' कार्यक्रम में अपने संबोधन में सीतारमण ने कहा कि माल एवं सेवा कर का लाभकारी प्रभाव सुबह की शुरुआत से लेकर रात के सोने तक सभी उत्पादों पर रहेगा। कुछ प्रमुख पहल का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन 99 प्रतिशत वस्तुओं पर पहले जीएसटी के तहत 12 प्रतिशत कर लगता था, अब उनपर सिर्फ 5 प्रतिशत कर लगेगा।
नए जीएसटी सुधार (2.0) 22 सितंबर से लागू होंगे। जीएसटी परिषद द्वारा 350 से अधिक वस्तुओं पर कर की दरों में कटौती का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने पहले अलग-अलग स्लैब के तहत कर लगाने की प्रथा के बजाय केवल पांच और 18 प्रतिशत के स्लैब लागू किए हैं। हमने व्यापारियों के लिए भी प्रक्रिया को सरल बनाया है। किसी भी उत्पाद पर 28 प्रतिशत जीएसटी कर नहीं है।
व्यापारियों के कर दायरे में वृद्धि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 2017 में जीएसटी लागू होने से पहले केवल 66 लाख व्यापारी ही कर दाखिल करते थे। लेकिन आज, पिछले आठ साल में 1.5 करोड़ व्यवसाय जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहा था। हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद, पिछले 8 साल में कर चुकाने वाले व्यवसायों की संख्या बढ़कर 1.5 करोड़ हो गई है। उन्हें एहसास हुआ कि वे इससे लाभान्वित हो पाएंगे। पिछले 8 साल में जीएसटी दाखिल करने वाले 1.5 करोड़ व्यापारियों की यह संख्या भविष्य में और बढ़ेगी। इस वृद्धि के कारण केंद्र और राज्य सरकारों को मिलने वाला राजस्व बढ़ा है।
वित्त मंत्री ने बताया कि 2017 में कर संग्रह 7.19 लाख करोड़ रुपये था और अब सकल जीएसटी संग्रह 22 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा औसतन 1.8 लाख से दो लाख करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया जाता है। उदाहरण के लिए, 1.80 लाख करोड़ रुपये के सकल राजस्व को आधा-आधा बांटा जाता है, जिसमें राज्यों को 90,000 करोड़ रुपये और केंद्र को 90,000 करोड़ रुपये मिलते हैं। केंद्र के हिस्से के उस 90,000 करोड़ रुपये के राजस्व में से भी लगभग 41 प्रतिशत राज्यों को वापस जाता है।