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GST 2.0 : सीतारमण बोलीं- भारत को बेहतर विपक्षी नेताओं की जरूरत, जीएसटी की आलोचना गलत जानकारी पर आधारित

वित्त मंत्री ने कहा कि चार कर दर रखने का फैसला भाजपा का नहीं था
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पीटीआई फोटो।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी सुधारों को लेकर मोदी सरकार की आलोचना को “गलत जानकारी” पर आधारित करार देते हुए कहा कि भारत को बेहतर विपक्षी दल और बेहतर नेताओं की जरूरत है।

सीतारमण ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किए जाने के समय चार कर दर रखने के लिए भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। वित्त मंत्री ने कहा कि चार कर दर रखने का फैसला भाजपा का नहीं था। न ही ऐसा था कि तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अलग-अलग कर दर या किसी खास वस्तु पर जीएसटी दर तय कर रहे थे। कांग्रेस शासित राज्यों के मंत्री भी इस फैसले में शामिल थे।

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सीतारमण ने सवाल किया कि क्या उन्हें (विपक्ष को) इसकी जानकारी नहीं है? जुलाई 2017 में जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले चार जीएसटी दर तय करने में विपक्षी दल शासित राज्यों की भूमिका के बारे में बताते हुए सीतारमण ने कहा कि देश को पेड़ कटाई जैसे मुद्दों के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन की तर्ज पर बेहतर विपक्ष और बेहतर नेताओं के लिए भी मुहिम चलाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर विपक्षी नेता तथ्य पेश कर उन्हें गलत साबित कर दें, तो उन्हें माफी मांगने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।

सीतारमण ने कहा कि मुझे कोई अहम नहीं है। मैं लोगों से माफी मांगने के लिए भी तैयार हूं। वे (विपक्षी नेता) जो कह रहे हैं, वह बकवास है। कांग्रेस अब हरकत में आ गई है। अगर आप मुद्दे को नहीं समझते हैं, तो कम से कम आप चुप रह सकते हैं। सीतारमण ने मुख्य विपक्षी दल को याद दिलाया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार प्राप्त समिति ने ही जीएसटी लागू होने से पहले चार कर दर रखने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि 2017 से जीएसटी में क्या लागू किया जाना है, इसका खाका इसी समिति ने तैयार किया था। बुधवार को, केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों की भागीदारी वाली जीएसटी परिषद ने जीएसटी के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया।

सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल सहित कई वर्षों तक चले विचार-विमर्श के दौरान विपक्षी दल शासित अन्य राज्यों के वित्त मंत्रियों के अलावा वामपंथी नेता और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता अधिकार प्राप्त समिति के प्रमुख के रूप में परामर्श को आगे बढ़ाने में शामिल रहे थे। उन्होंने कहा कि अधिकार प्राप्त समिति ने विभिन्न राज्यों में किसी वस्तु पर कर की विभिन्न दरों का आकलन किया, एक औसत निकाला और फिर उस उत्पाद को औसत के निकटतम चार जीएसटी दरों में से एक में रखने पर सहमति जताई।

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