Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

‘ग्रेट निकोबार मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर’ परियोजना को जबरदस्ती थोप रही सरकार

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का केंद्र पर निशाना
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘ग्रेट निकोबार मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर’ परियोजना एक ‘पारिस्थितिकीय आपदा’ है, जिसे नरेन्द्र मोदी सरकार जबरदस्ती थोप रही है, जबकि इसकी पर्यावरणीय मंजूरी को अदालतों में चुनौती दी गई है। पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि ‘अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम’ इस परियोजना के तहत पेड़ों की गणना, कटाई, लट्ठे की ढुलाई और जमीन पर चिह्नांकन के लिए रुचि पत्र (ईओआई) आमंत्रित करने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ा रहा है। कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘18 अगस्त, 2022 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण में आने वाले अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह प्रशासन ने प्रमाणित किया था कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सभी व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकारों की पहचान की जा चुकी है, उनका निपटारा कर लिया गया है, और ग्रेट निकोबार मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजना के लिए भूमि हस्तांतरण हेतु सहमति प्राप्त कर ली गई है। उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर 2024 को इस मंजूरी को सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी मीना गुप्ता ने कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वह केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में सचिव थीं और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी भी रह चुकी हैं।

रमेश ने कहा कि उनकी याचिका में कहा गया है कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह प्रशासन के प्रमाणीकरण में वन अधिकार अधिनियम, 2006 का अक्षरशः पालन नहीं किया गया है और वास्तव में यह दिसंबर 2006 में संसद द्वारा पारित कानून का बहुत गंभीर उल्लंघन है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘इसके बाद 19 फरवरी, 2025 को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने अजीब तरीके से कलकत्ता हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसे प्रतिवादियों की सूची से हटा दिया जाना चाहिए।’ हालांकि, उन्होंने दावा किया कि 8 सितंबर 2025 को केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने स्थानीय प्रशासन द्वारा वन अधिकार अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का पालन न करने के संबंध में लिटिल और ग्रेट निकोबार द्वीप समूह की जनजातीय परिषद द्वारा उठाए गए कई बिंदुओं पर केंद्र शासित प्रदेश अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने दावा किया कि ग्रेट निकोबार मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी को भी राष्ट्रीय हरित अधिकरण में चुनौती दी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘गैलेथिया खाड़ी को पहले ही एक प्रमुख बंदरगाह घोषित किया जा चुका है। वन अधिकार अधिनियम, 2006 का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है, इसके बावजूद पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के केंद्रीय मंत्री एवं मोदी सरकार इस पारिस्थितिकीय आपदा जैसी परियोजना को जबरदस्ती आगे बढ़ा रही है।’

Advertisement

Advertisement
×