नयी दिल्ली, 23 नवंबर (एजेंसी)
कृषि कानूनों पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने मंगलवार को चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर 3 कृषि कानूनों पर रिपोर्ट को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने पर विचार करने या समिति को ऐसा करने के लिए अधिकृत करने का आग्रह किया। शेतकरी संगठन के वरिष्ठ नेता घनवट ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह अगले कुछ महीनों में एक लाख किसानों को दिल्ली में लामबंद करेंगे, जो तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले के बाद भी आवश्यक कृषि सुधारों की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एमएसपी को कानूनी गारंटी बनाने और एमएसपी पर सभी कृषि फसलों की खरीद सुनिश्चित करने की किसानों की मांग ‘असंभव है और लागू करने योग्य नहीं है।’
चीफ जस्टिस एनवी रमण को 23 नवंबर को लिखे पत्र में घनवट ने कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकार के फैसले के बाद समिति की रिपोर्ट ‘‘अब प्रासंगिक नहीं रह गई है” लेकिन सिफारिशें व्यापक जनहित की हैं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि खास कानून अब मौजूद नहीं रहेंगे लेकिन तीनों कृषि कानूनों में परिलक्षित ‘सुधार’ की राह ‘कमजोर’ नहीं हो। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट एक शैक्षिक भूमिका भी निभा सकती है और कई किसानों की गलतफहमी को कम कर सकती है, जो मेरी राय में, कुछ नेताओं द्वारा गुमराह किए गए हैं…।”
तीन सदस्यीय समिति ने 19 मार्च को शीर्ष अदालत को रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। घनवट ने नए कृषि कानून बनाने के लिए एक श्वेत पत्र तैयार करने को लेकर एक समिति गठित करने का भी सुझाव दिया। इस मुद्दे पर घनवट ने संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान स्थिति उत्पन्न नहीं होती अगर सुप्रीमकोर्ट ने रिपोर्ट जमा करने के कुछ दिनों के भीतर ही इसे सार्वजनिक कर दिया होता। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट सौंपे आठ माह से अधिक समय हो गया है। अब कानून निरस्त होने जा रहे हैं, कम से कम रिपोर्ट जनता को उपलब्ध कराई जाए ताकि लोगों को सिफारिशों का पता चले।”
एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की किसानों की मांग का विरोध करने पर घनवट ने कहा कि वह एमएसपी व्यवस्था के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे सीमित तरीके से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने सवाल किया, ‘‘सभी कृषि फसलों की खरीद के लिए सरकार को धन कहां से मिलेगा? अगर वह सारी फसल खरीद भी ले तो उन फसलों का भंडारण और निपटान कैसे होगा?” घनवट ने कहा, ‘‘यह असंभव है और लागू करने योग्य नहीं है। सरकार का सारा राजस्व एमएसपी पर खर्च नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा किया जाता है तो सरकार के पास अन्य क्षेत्रों के विकास के लिए धन नहीं होगा।” उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान कृषि क्षेत्र को खोलना और किसानों को विपणन की आजादी देना है।