Gandhi Jayanti 2025 : गांधी जी की विरासत को सहेजने के लिए अहम कदम, 1948 में सरकारी कर्मियों ने चलाया था दान संग्रह अभियान
दान की राशि के लिए कटौती को छह किस्तों में बांटने पर जोर दिया गया था
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Gandhi Jayanti 2025 : महात्मा गांधी के 1948 में निधन के महज पांच माह बाद सरकारी कर्मचारियों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय स्मारक कोष के लिए दान संग्रह अभियान शुरू किया था। कल (02 अक्टूबर को) जब हम 156वीं गांधी जयंती मना रहे हैं तो आइए उस वर्ष पर एक नजर डालें जब सरकारी कर्मचारी उनकी विरासत को सहेजने के लिए एकजुट हुए थे।
दिल्ली अभिलेखागार के एक दस्तावेज के अनुसार, इतिहासकारों ने इसे इतिहास में किसी एक व्यक्ति के सम्मान में सबसे बड़े स्वैच्छिक मौद्रिक योगदानों में एक के रूप में वर्णित किया है। दस्तावेज के अनुसार, 18 जून 1948 को दिल्ली में विभिन्न अधीक्षक और सहायक प्रभारियों की एक बैठक हुई, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों से स्मारक कोष के लिए दान एकत्रित करने हेतु एक समिति का गठन करना था। अधीक्षक ईश्वर सिंह और वित्त शाखा के वासदेव के नेतृत्व में नवगठित समिति को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था कि अंशदान नियमित रूप से एकत्र किया जाए तथा प्रगति की रिपोर्ट हर महीने रजिस्ट्रार को दी जाए।
हालांकि योगदान स्वैच्छिक था लेकिन कर्मचारियों के समक्ष प्रस्तुत प्रस्ताव में सुझाव दिया गया था कि प्रत्येक सरकारी कर्मचारी 10 दिनों के वेतन के बराबर राशि दान करे। प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए दान की राशि के लिए कटौती को छह किस्तों में बांटने पर जोर दिया गया था। राशि जमा करने का अभियान औपचारिक रूप से एक जुलाई 1948 को शुरू हुआ। 26 अगस्त 1949 को ‘जनरल टॉकीज लिमिटेड' ने दिल्ली के मैजेस्टिक सिनेमा में अपनी फिल्म ‘स्वयं सिद्धा' के रिलीज के दौरान फंड को 15 हजार रुपये का चेक दिया था।
इस सद्भावना पहल की भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सार्वजनिक रूप से सराहना की थी। गांधी स्मारक निधि को गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के रूप में भी जाना जाता है और इसकी स्थापना गांधी की शिक्षाओं को संरक्षित करने, उनके जीवन से जुड़े स्थानों को बनाए रखने समेत गांधीवादी विचारों पर साहित्य का निर्माण करके उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए की गई थी।
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