'2027 की पहली तिमाही में भेजा जाएगा गगनयान'
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गगनयान परियोजना का पहला मानवरहित मिशन इस साल के अंत में प्रक्षेपित होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इसके बाद 2026 में इसी तरह के दो और मिशन प्रक्षेपित किए जाएंगे। नारायणन ने कहा कि इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने से पहले मानवरहित मिशन के तहत एक अर्ध-मानव रोबोट ‘व्योममित्र' को भेजेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान गगनयान परियोजना की घोषणा की थी और भारत की पहली मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए 2022 का लक्ष्य निर्धारित किया था। इस परियोजना में कई बार देरी हुई है, जिसका एक कारण कोविड महामारी भी रही। इसकी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण प्रभावित हुआ। देरी का दूसरा कारण मिशन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करने संबंधी जटिलताएं हैं। भारत का यह अभियान यदि सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत स्वतंत्र रूप से मानव को अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। नारायणन ने कहा कि दिसंबर में पीएसएलवी रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित दो उपग्रहों के अंतरिक्ष ‘डॉकिंग' प्रयोग सफल रहे और इसरो ‘स्पैडेक्स-2' की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक प्रस्ताव जल्द ही सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। नारायणन ने कहा कि वर्तमान ‘स्पैडेक्स' मिशन के दौरान ईंधन के विवेकपूर्ण उपयोग से इसरो को कक्षा में और अधिक प्रयोग करने का अवसर मिला, जिसमें मार्च में एक उपग्रह के चारों ओर दूसरे उपग्रह का परिक्रमा करना भी शामिल था। उन्होंने कहा कि इसरो सात से नौ मई तक वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन (ग्लेक्स 2025) की मेजबानी कर रहा है, जो भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में भागीदार के रूप में स्थापित करेगा।