‘धमकी से लेकर सजा तक, पाकिस्तान को सख्त और स्पष्ट संदेश’
ज्योति मल्होत्रा/विजय मोहन
चंडीगढ़, 23 मई
भारत ने पहलगाम में पाक की आतंकी गतिविधियों के खिलाफ पाकिस्तानी पंजाब के मध्य में मिसाइल हमले करके न केवल उसे दंडित किया, बल्कि उसके परमाणु खतरे की धमकी को सफलतापूर्वक बेनकाब करके अपने इरादों और क्षमता का मजबूत संदेश दिया है।
‘द ट्रिब्यून’ के साथ एक विशेष साक्षात्कार में पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि भारत ने 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के बाद से अपनी रणनीतिक सोच में बदलाव का प्रदर्शन किया है, जिसमें उसने पाकिस्तानी पंजाब के साथ-साथ उसके 11 एयरबेसों पर सटीक और कठोर हमले किए। चंडीमंदिर स्थित अपने कार्यालय में जनरल कटियार ने कहा, ‘पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमला करके हमने अपनी इच्छा के अनुसार समय और स्थान पर निर्भय होकर हमला करने का संकल्प प्रदर्शित किया है।
भारतीय नेतृत्व की मंशा और भारतीय सेना की क्षमता के बारे में पाकिस्तानी नेतृत्व को संदेश मिल गया है।’ जनरल कटियार, पश्चिमी कमान के प्रमुख हैं, जिन्हें भारत की पश्चिमी सीमा की सुरक्षा का काम सौंपा गया है। उन्होंने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि भारत ने पाकिस्तान की ‘परमाणु धमकी’ की पोल खोल दी है, जो 1998 में दोनों देशों के परमाणु संपन्न बनने के बाद से उपमहाद्वीप पर मंडरा रहा था। जनरल कटियार ने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से इस गलतफहमी में था कि वह भारत पर बार-बार आतंकवादी हमले कर सकता है-जैसा कि उसने 2000 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर, 2001 में संसद पर, 2008 में मुंबई पर, 2016 में उरी में, 2019 में पुलवामा में और अब 2025 में पहलगाम में किया।
वह सोचता था कि भारत अंतर्राष्ट्रीय दबाव और परमाणु युद्ध के डर से जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। जनरल कटियार ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने पाकिस्तान के परमाणु खतरे का पर्दाफाश कर दिया है।
''पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमला करके हमने अपनी इच्छा के अनुसार समय और स्थान पर निर्भय होकर हमला करने का संकल्प प्रदर्शित किया। भारतीय नेतृत्व की मंशा और भारतीय सेना की क्षमता के बारे में पाकिस्तानी नेतृत्व को संदेश मिल गया है। '' -लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार
ऑपरेशन सिंदूर में जो किया वो अलग पैमाने पर था
सेना कमांडर ने 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के बाद से भारत की सामरिक नीति में आए बदलाव के बारे में बताया, जब संसद पर आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना 10 महीने तक पश्चिमी सीमा पर तैनात रही थी। उन्होंने कहा, ‘2001-02 में ऑपरेशन पराक्रम के बाद से सोच धमकी के बजाय दंड से रोकने की ओर बदल गई। हमने इसे 2016 के उरी हमले और 2019 के पुलवामा हमले के बाद भी देखा। अब, हमने ऑपरेशन सिंदूर में जो किया है, वह अलग पैमाने पर था और इसका दायरा बहुत बड़ा था।’
आतंकियों से पाक के संबंध दुनिया के सामने उजागर
ऑपरेशन सिंदूर की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को पाकिस्तान और विश्व दोनों के लिए एक संदेश बताते हुए जनरल कटियार ने कहा कि इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान और उसके आतंकवादी समूहों के बीच संबंधों को दुनिया के सामने उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आईएसआई और विभिन्न आतंकी तंजीमों (आतंकवादी समूहों) के बीच संबंधों का पूरा दस्तावेजी प्रमाण मौजूद है। अब दुनिया को इस सांठगांठ पर ध्यान देना चाहिए। जनरल कटियार ने कहा कि मुरीदके और बहावलपुर में आतंकी ठिकानों पर हमलों में मारे गए आतंकवादियों के जनाजों में पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहने जवानों की मौजूदगी इसका स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने सवाल किया अगर ये आतंकवादी सेना से संबद्ध नहीं थे, तो फिर उनके जनाजों में पाकिस्तानी सैन्यकर्मी क्यों शामिल हुए?
हम हर स्थिति से निपटने को तैयार थे : कटियार
जनरल कटियार ने यह भी बताया कि पहलगाम नरसंहार के बाद पाकिस्तान ने सीमा क्षेत्रों में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी थी, अग्रिम चौकियों पर सेना की उपस्थिति बढ़ाई गई और रिजर्व व मैकेनाइज्ड फॉर्मेशन को भी सक्रिय किया गया था। ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने में तीनों सेनाओं के बीच सटीक तालमेल का जिक्र करते हुए जनरल कटियार ने कहा, ‘हमें पाकिस्तान की ओर से दुस्साहसिक कार्रवाई की आशंका थी, लेकिन हमने हर स्थिति से निपटने की तैयारी पहले से कर रखी थी। हमारे वायु सुरक्षा निगरानी और आक्रमणकारी दस्ते अल्प सूचना पर भी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार थे।